Highlights
- महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर BJP नहीं करेगी जल्दबाजी
- "परिस्थितियां पक्ष में होंगी तभी राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया जाएगा"
- MVA सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और NCP शामिल हैं
Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मंगलवार को राजधानी दिल्ली पहुंच गए। सूत्रों के मुताबिक वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित अन्य कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। फडणवीस राज्य में सरकार बनाने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करेंगे। महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व MVA सरकार संकट का सामना कर रही है क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उसके कई विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। मौजूदा समय में बागी विधायक असम की राजधानी गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।
शिंदे का दावा, गुवाहाटी में उनके साथ 50 विधायक
फडणवीस का दिल्ली दौरा ऐसे समय में हुआ है जब बागी नेता शिंदे ने दावा किया कि गुवाहाटी में उनके साथ 50 विधायक हैं। सारे बागी विधायक स्वेच्छा से और ‘‘हिंदुत्व’’ की राजनीति को आगे ले जाने के लिए यहां पहुंचे हैं। BJP ने शिवसेना के इस विद्रोह को उसका आंतरिक मामला बताकर इससे दूरी बना रखी है। BJP नेताओं ने साथ ही यह भी साफ किया है कि उसकी रणनीति ‘‘स्थिति पर नजर रखने’’ की है। इस सिलसिले में सोमवार को पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के नेताओं के कोर समूह की फडणवीस के आवास पर एक बैठक भी हुई थी। शिवसेना के जिन असंतुष्ट विधायकों के साथ शिंदे ने गुवाहाटी में डेरा डाल रखा है उनमें राज्य सरकार के नौ मंत्री भी हैं, लेकिन इनके विभाग सोमवार को वापस ले लिये गये।
BJP ‘‘इस बार अपने कदम फूंक-फूंक कर बढ़ाएगी’’
सूत्रों ने बताया कि फडणवीस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। BJP सूत्रों के मुतताबिक पार्टी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर इस बार किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करेगी। BJP नेताओं का मानना है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली MVA की सरकार आखिरी सांसें ले रही है लेकिन BJP ‘‘इस बार अपने कदम फूंक-फूंक कर बढ़ाएगी।’’ MVA सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और NCP शामिल हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘सारी संभावनाएं तलाशने के बाद परिस्थितियां पक्ष में होंगी तभी राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया जाएगा।’’ शिवसेना के बागी विधायकों को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से भी राहत मिली जब शीर्ष अदालत ने अयोग्यता नोटिस के खिलाफ संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला लेने पर रोक लगा दी। इसके साथ ही अदालत ने अयोग्यता नोटिस की वैधानिकता को चुनौती देने वाले बागी विधायकों की याचिकाओं पर राज्य सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया।