मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव को नया मुख्यमंत्री बनाया है। इस नाम के साथ ही उन सभी कयासों पर विराम लग गया है जिसमें राज्य के लिए नए सीएम को लेकर अनेक नाम लिए जा रहे थे। भाजपा सभी को चौंकाते दिग्गजों के बजाए मोहन यादव के नाम का ऐलान किया। बता दें कि खुद शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव दिया है। सीएम पद पर मोहन यादव की नियुक्ति विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा झटका भी बताया जा रहा है। आइए जानते हैं कैसे
भाजपा का पहला यादव सीएम
मोहन यादव भारतीय जनता पार्टी के पहले यादव मुख्यमंत्री बने हैं। विपक्षी दलों द्वारा बीते लंबे समय से भाजपा को ब्राह्मण-बनिया पार्टी का टैग दिया जाता रहा है। हालांकि, विभिन्न प्रदेशों में आदिवासी, ओबीसी सीएम या फिर द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने जैसे कदमों से भाजपा ने हमेशा से ही विपक्षी दलों को जवाब दिया है। अब छत्तीसगढ़ में आदिवासी चेहरे विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में यादव चेहरे मोहन यादव को सीएम बनाकर भाजपा ने विपक्षी दलों को एक और झटका दिया है।
जातिगत जनगणना की काट तो नहीं?
भारतीय राजनीति में बीते कुछ समय से जातिगत जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है। कांग्रेस, राजद, जेडीयू समेत विभिन्न विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना कराने की मांग की जा रही है। भाजपा पर आदिवासी और ओबीसी समाज का विरोधी होने के आरोप लगाए जा रहे थे। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम और मध्य प्रदेश में यादव सीएम बनाकर भाजपा विपक्ष के जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी बड़ी चोट की है।
भाजपा की बड़े वोटबैंक पर नजर
बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में यादव समाज की अच्छी-खासी आबादी है। आम-तौर पर यादव समाज को लालू प्रसाद यादव की राजद और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी जैसे ही दलों का वोटर माना जाता रहा है। हालांकि, भाजपा ने मध्य प्रदेश में यादव मुख्यमंत्री बनाकर पूरे देश में एक बड़ा संदेश दिया है। पार्टी का ये कदम आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को बड़ी बढ़त दिला सकता है।
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