भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत चीन संबंधों और चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर लोकसभा में आज अपना वक्तव्य दिया। विदेश मंत्री ने लोकसभा में एलएसी की मौजूदा स्थिति, चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर कहा कि सीमा पर शांति बहाली की कोशिशें जारी है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर कूटनीतिक पहल से एलएसी पर हालात सुधरे हैं और दोनों पक्ष हालात में सुधार को लेकर प्रतिबद्ध हैं। दोनों में से कोई भी पक्ष मौजूदा स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा और सहमति से ही भारत और चीन सभी मसलों का समाधान करेंगे। उन्होंने कहा कि, सीमा पर आज हालात सामान्य होने के बाद ही चीन से बातचीत की गई है।
विदेश मंत्री ने सेना को दिया श्रेय
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय हमारे देश की सेना को जाता है। उन्होंने बताया कि, भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते। एस जयशंकर ने 1962 के संघर्ष का जिक्र किया और पाकिस्तान की ओर से कब्जाई गई भारतीय जमीन चीन को दिए जाने का भी जिक्र किय। गलवान की घटना के बाद एलएसी पर जारी तनातनी का उल्लेख करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि तब पैट्रोलिंग बंद थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, मैंने चीनी विदेश मंत्री से बात की है, रक्षा मंत्री ने भी चीनी रक्षा मंत्री से बात की है। आसियान के सम्मेलन में भी भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई थी। उस मुलाकात में कहा गया कि दोनों ओर से एलएसी का सम्मान होना चाहिए। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है, तनाव वाले इलाकों में डिसइंगेजमेंट पर हमारा फोकस है। विदेश मंत्री ने सीमा सड़क संगठन की ओर से बनवाए गए रोड और टनल का जिक्र भी अपने बयान में किया और कहा कि सरकार सीमा की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है।