नई दिल्ली: 2024 के सबसे बड़े दंगल से पहले 2023 में 9 राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। 48 घंटे बाद 3 राज्यों का रिजल्ट भी आ जाएगा लेकिन मोदी के दुश्मनों का एजेंडा साफ है। बार-बार यही नैरेटिव सेट किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के सबसे बड़े दुश्मन हैं इसके लिए हेट स्पीच वाला प्लान भी पूरी तरह तैयार है। सबकी स्क्रिप्ट में मुसलमान नाम ही बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है। हिंदू-हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के खिलाफ एक बार फिर गड़े मुर्दों को उखाड़ा जा रहा है, जो सब्जेक्ट हिस्ट्री बन चुके हैं उससे ही फ्यूचर प्लान तैयार हो रहा है।
भारत में कितने मुस्लिम?
- कुल मुस्लिम-14.23%
- सवर्ण मुस्लिम-15%
- पसमांदा मुस्लिम-85%
पीएम मोदी को हराने के लिए विरोधी 14% के सहारे है। औवैसी हो या अजमल, वृदां करात हो या मदनी सब मुसलमानों के मन में एंटी मोदी नैरेटिव सेट करने में जुट गए हैं। जैसे-जैसे 2024 करीब आ रहा है हर तरफ मुसलमान-मुसलमान का शोर बढ़ता जा रहा है। सबका टारगेट कॉमन है, मुसलमानों को मोदी के नाम पर भड़काया जा रहा है। मुसलमानों को उकसाने के लिए गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं। हिंदू-हिंदुत्व पर हमले किए जा रहे हैं ताकि मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता बना जा सके।
मुस्लिम बाहुल्य लोकसभा सीट
92 मुस्लिम बाहुल्य सीट
- 2014- BJP 41 सीट जीती
- 2019-BJP 45 सीट जीती
अचानक मुसलमान शब्द की बाढ़ आ गई है। हर कोई विपक्षी दल इस मुसलमान नाम को भुनाने में जुटा है। मौलाना से लेकर सियासी घराना सब एक्टिव हो गया है और सिर्फ इसी शब्द से अपनी नैय्या पार लगाने में जुटा हुआ है। आपको हाल फिलहाल के 5 बयानों की तरफ ध्यान दिलवाएंगे जिसमें बोल रहे सभी दिग्गज मुसलमान राग अलाप रहे हैं। इन सभी को अचानक लोकतंत्र खतरे में नजर आने लगा है जिसका उपाय सभी के पास एक ही है- 'मोदी हटाओ, संविधान बचाओ' मंच भले अलग-अलग हैं लेकिन एजेंडा सिर्फ एक है- कैसी हटेगी मोदी सरकार।
मौलाना अरशद मदनी- सबसे पहली घटना पटना की है। दो दिन पहले यहां जमीयत के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी पहुंचे। कुछ दिन पहले ओम और अल्लाह एक बताने वाले मदनी साहब के लिए अभी सेक्युलरिज्म पर खतरा नजर आ रहा है। बाबरी मस्जिद अब अतीत बन चुका है। कोर्ट के फैसले पर अयोध्या में भव्य मंदिर बन रहा है लेकिन अरशद मदनी को इस पर संविधान खतरे में नजर आ रहा है। मदनी ने कहा कि बाबरी मुद्दे पर मुस्लिम पक्ष कामयाब रहा लेकिन फिर भी मंदिर का निर्माण हुआ।
मनोज झा- आरजेडी सांसद मनोज झा को टुकड़े-टुकड़े गैंग के लीडरों में भविष्य दिखता है। उनकी नजर में उमर खालिद युवाओं और छात्रों का प्रतीक है।
वृंदा करात- दिल्ली दंगों के 3 साल बीत चुके हैं। दिल्ली में बाकायदा इन दंगों की वर्षगांठ मनाई गई जिस पर आयोजित एक कार्यक्रम में लेफ्ट की नेता वृंदा करात पहुंची। उन्होंने भी मुस्लिम सियासत को हवा देते हुए कहा कि 2024 से पहले एक और आंदोलन की जरूरत है।
असदुद्दीन ओवैसी- ओवैसी पहले से ही मुसलमानों के सबसे बड़े हिमायती होने का दावा करते रहे हैं। मुंबई में दो दिन के अधिवेशन में उन्होंने फिर से मुसलमान राग अलापा। ओवैसी ने कहा जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तभी से मॉब लिंचिंग, लव जिहाद, धर्मांतरण के नाम पर मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है। जुनैद-नसीर को जला दिया गया, पहलू खान, अखलाक, अकबर को मार दिया गया। नवाब मलिक को जमानत क्यों नहीं मिलती, आजम खान का राजनीतिक करियर बर्बाद कर दिया गया और रिवरफ्रंट घोटाला करने वालों को जेल नहीं होती। अगर आप इतने सेक्युलर है तो बताओ कि भारत की संसद में इतने कम मुसलमान क्यों जीतकर आते हैं।
AIUDF के चीफ मौलाना बदरुद्दीन अजमल का एजेंडा भी मुसलमान ही हैं जिनका मानना है कि भविष्य में भारत पर मुसलमान शासन करेंगे।
यह भी पढ़ें-
- क्यों हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं ओवैसी? AIMIM अधिवेशन के दौरान कही बड़ी बात
- गोरक्षकों को ‘आतंकवादी’ कहना ओवैसी को पड़ सकता है भारी, सरकार ने कहा- दोषी पाए गए तो...
2023 के सेमीफाइनल और 2024 के फाइनल बैटल में मोदी विरोधी किस पिच पर खेलेंगे अब ये धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है। मोदी को हराने के लिए विरोधी 14% के सहारे हैं और सभी एक नैरेटिव सेट करने में जुट गए हैं। सभी की स्क्रिप्ट भी एक ही है मोदी के डेवलपमेंट के मुकाबले में वो हिंदू मुसलमान, धर्म-जाति की राजनीति को हवा देंगे।