लोकसभा चुनाव के मंगलवार को घोषित होने वाले नतीजों का देशभर में उत्सुकता के साथ इंतजार किए जाने के बीच उम्मीदवारों में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 8,337 उम्मीदवारों में महज 9.6 प्रतिशत महिलाएं हैं। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीट आरक्षित करने वाला महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद से यह यह पहला आम चुनाव है। हालांकि, इस कानून के पारित हो जाने के बावजूद इसका कार्यान्वयन अभी बाकी है। इस ऐतिहासिक कानून के बावजूद, 2024 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में आंशिक वृद्धि ही देखने को मिली है।
किस चरण में कितनी महिला उम्मीदवार?
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैर लाभकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) के अनुसार, कुल 8,337 उम्मीदवारों में केवल 797 महिलाएं हैं। कुल सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव में यह लैंगिक असमानता निरंतर प्रदर्शित हुई है। पहले चरण में, 1,618 उम्मीदवारों में केवल 135 महिलाएं थीं। बाद के, चरणों में भी समान प्रवृत्ति देखने को मिली और महिला उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम रही। दूसरे चरण में, 1,192 उम्मीदवारों में 100 महिलाएं थीं, जबकि तीसरे चरण में 1,352 उम्मीदवारों में 123 महिलाएं थीं। चौथे चरण में, 1,710 उम्मीदवारों में 170 महिलाएं थीं। पांचवें चरण में, 695 उम्मीदवारों में 82 महिलाएं थीं। छठे चरण में 866 उम्मदवारों में 92 और सातवें एवं अंतिम चरण में 904 उम्मीदवारों में 95 महिलाएं थीं।
2009 के बाद महिला उम्मीदवारों की संख्या में कितनी वृद्धि?
आम चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या 1957 के तीन प्रतिशत से बढ़कर 2024 में करीब 10 प्रतिशत हो गई। विचार समूह पीआरएस के एक विश्लेषण के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में इसमें वृद्धि देखने को मिली है। 2009 में कुल उम्मीदवारों में सात प्रतिशत महिलाएं थीं, जो 2024 में बढ़कर 9.6 प्रतिशत हो गईं। वर्ष 2009 के चुनाव में सात प्रतिशत, 2014 में आठ प्रतिशत और 2019 में नौ प्रतिशत महिला उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने से इसमें क्रमिक वृद्धि हुई है।
किस पार्टी ने कितनी महिलाओं को दिया टिकट?
बड़े राजनीतिक दलों में, भाजपा लोकसभा चुनाव में पार्टी के कुल 440 उम्मीदवारों में 69 महिलाओं (16 प्रतिशत) को अपना टिकट देकर इस मामले में पहले स्थान पर है। वहीं, कांग्रेस के 327 उम्मीदवारों में 41 महिलाएं (13 प्रतिशत) हैं। छोटे और क्षेत्रीय दलों ने अधिक अनुपात में महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। ‘नाम तमिलार काची’ ने 50 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर लैंगिक समानता हासिल की। अधिक संख्या में महिलाओं को टिकट देने वाले अन्य दलों में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं, जिनकी 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवार हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा और बीजू जनता दल, दोनों ने 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए हैं, जबकि राष्ट्रीय जनता दल की 29 प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं। समाजवादी पार्टी ने 20 प्रतिशत महिला उम्मीदवार उतारी हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 25 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)