Lok Sabha Elections 2024: रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट महाराष्ट्र की हॉट सीटों में शुमार है। यह लोकसभा सीट रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले की तीन-तीन विधानसभाओं को मिलाकर बनाई गई है। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट 2008 में अस्तित्व में आई। यहां पहला संसदीय चुनाव 2009 में हुआ था। पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी और नीलेश राणे सांसद चुने गए थे। इसके बाद से यह सीट शिवसेना-यूबीटी जीत रही है। इस साल इस सीट पर शिवसेना-यूबीटी और बीजेपी के बीच मुकाबला है। यहां से शिवसेना-यूबीटी ने एक बार फिर विनायक राउत पर भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने नारायण राणे को चुनावी मैदान में उतारा है।
अब तक हुए तीन चुनाव के नतीजे
2009 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के नीलेश राणे को 3,53,915 वोट मिले। उन्होंने शिवसेना के सुरेश प्रभु को 46,750 वोटों से हराया था। उन्हें 3,07,165 वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर शिवसेना-यूबीटी ने कब्जा किया था। यहां से पार्टी ने विनायक राऊत को चुनावी मैदान में उतारा था। विनायक राऊत ने कांग्रेस के नीलेश राणे को 1,50,051 वोटों से हराया था। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना-यूबीटी के विनायक राऊत अपना जलवा बरकरार रखते हुए सीट जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने यह सीट 1,78,322 मतों से जीती थी। विनायक राऊत 458,022 वोट लाने में सफल रहे थे। वहीं, दूसरे नंबर पर एमएसएचपी के नीलेश नारायण राणे को 2,79,700 वोट मिले।
नारायण राणे VS विनायक राउत
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से बीजेपी ने नारायण राणे को उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले यहां से बीजेपी ने कभी भी कोई प्रतिनिधि नहीं खड़ा किया है। पहले एनडीए गठबंधन में शामिल रही शिवसेना यहां से चुनाव लड़ती आई है। वहीं, अब महा विकास अघाड़ी (MVA) में शामिल शिवसेना-यूबीटी ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से अपने पुराने उम्मीदवार पर ही भरोसा जताया है। शिवसेना-यूबीटी से विनायक राउत तीसरी बार यहां से चुनाव लड़ेंगे।
लोकसभा सीट के बारे में-
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र अरब सागर के तट पर बसा हुआ है। रत्नागिरी में महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ था। यह शहर कजली नदी के करीब है। 1731 ने रत्नागिरी सतारा राजाओं के नियंत्रण में चली गई थी। 1818 में इस पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। वहीं, इस सीट पर आने वाला जिला सिंधुदुर्ग विश्व प्रसिद्ध अल्फांसो आम, काजू, जामुन जैसे फलों के लिए मशहूर है। यह इलाका लंबे और खूबसूरत समुद्री तटों, हरियाली से घिरे जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहां 1664 में शिवाजी महाराज ने कोंकण तट पर भव्य किले का निर्माण कराया था। इसे सिंधुदुर्ग किला के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा सिंधुदुर्ग को महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा किलों वाले शहर के रूप में जाना जाता है। यहां 37 किले हैं, जो समुद्र, जमीन और पहाड़ी की चोटी पर बने हुए हैं।