Monday, December 23, 2024
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विपक्षी एकता में आई दरार! बिहार की बैठक में मायावती और जीतन राम मांझी नहीं होंगे शामिल

विपक्षी एकता की अगुवाई नीतीश कुमार कर रहे हैं। इसी कड़ी में 23 जून को बिहार में बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में मायावती और जीतनराम मांझी शामिल नहीं होंगे।

Written By: Avinash Rai
Published : Jun 11, 2023 15:42 IST, Updated : Jun 11, 2023 15:42 IST
Lok Sabha Elections 2024 mahagathbandhan divided Mayawati and Jitan Ram Manjhi will not attend Bihar
Image Source : PTI बिहार की बैठक में मायावती और जीतन राम मांझी नहीं होंगे शामिल

लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां महागठबंधन करने की तैयारी कर र ही है। नीतीश कुमार इस विपक्षी एकता की अगुवाई कर रहे हैं। आगामी 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बैठक में देश की 15 से अधिक विपक्षी पार्टियां शिरकत करने वाली हैं। लेकिन दलितों की नेता व बसपा सुप्रीमों मायावती इस बैठक में शामिल नहीं होने वाली है। यही नहीं इस बैठक में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्च के प्रमुख जीतन राम मांझी भी इस बैठक में शामिल नहीं होंगे क्योंकि दोनों को इस बैठक में शामिल होने का न्यौता नहीं दिया गया है। 

मायावती बैठक में नहीं होंगी शामिल

बसपा के बिहार प्रभारी अनिल सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया है कि विपक्ष की एकता में हमलोग शामिल नहीं होंगे. हम हर बार अकेले चुनाव लड़ते हैं. इस बार भी देश के 5 राज्यों में अकेले चुनाव लड़ेंगे. बिहार में हम 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. अनिल सिंह ने कहा कि हम दलितों के उत्थान के बारे में सोचते हैं और मायावती से बेहतर प्रधानमंत्री कोई और नहीं हो सकता है।  उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष में सभी अपने अपने चेहरे को प्रधानमंत्री के पद के लिए आगे कर रहे हैं। नीतीश कुमार से बिहार तो संभाला नहीं जा रहा वो देश संभालने चले हैं। 

जीतन राम मांझी को भी नहीं मिला न्यौता

मायावती के अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को भी विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने के लिए न्यौता नहीं दिया गया है। जीतन राम मांझी ने 2 दिन पहले ही इस बात की सूचना मीडिया को दी और बताया कि वे दलित परिवार से आते हैं और उनकी पार्टी भी दलित वोट का प्रतिनिधित्व करती है. दलित पार्टी में लोक जनशक्ति पार्टी का भी एक नाम है जो भाजपा के साथ है। ऐसे में विपक्षी एकता में दलित पार्टियों का ना होना यह दर्शाता है कि महागठबंधन धन के लिए सबकुछ इतना आसान नहीं है।

 

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