Lok Sabha Elections 2024: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इनमें से कुछ हॉट सीटें भी हैं, जिन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इनमें से एक हाई प्रोफाइल सीट हाजीपुर भी है। कांग्रेस के दबदबा को खत्म करते हुए इस सीट पर 1977 के चुनाव में रामविलास पासवान ने सेंध लगाई थी। इसके बाद से रामविलास पासवान और उनके परिवार ने यहां से कई चुनाव जीते। 2019 का चुनाव यहां से रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने जीता था। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के शिव चंद्र राम को शिकस्त दी थी। इस बार 2024 का चुनाव यहां से रामविलास के बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान लड़ रहे हैं। वहीं, आरजेडी ने एक बार फिर शिव चंद्र को ही चुनावी मैदान में उतारा है।
पशुपति पारस जीते थे 2019 का चुनाव
दरअसल, हाजीपुर लोकसभा सीट चिराग पासवान के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। इस सीट को लेकर चाचा (पशुपति पारस) और भतीजे में ठन गई थी। हालांकि, आखिर में यह सीट चिराग पासवान के खाते में गई। NDA गठबंधन में शामिल चिराग पासवान की पार्टी को हाजीपुर समेत बिहार की पांच सीटें मिलीं। चिराग पासवान पहले से जिद पर अड़े थे कि वह हर हाल में हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव में लोजपा के पशुपति कुमार पारस को 541,310 वोट मिले थे, जबकि आरजेडी के शिवचंद्र राम को 335,861 मतों की प्राप्ति हुई थी। निर्दलीय प्रत्याशी राज पासवान ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा था, जिन्हें 30,797 वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में इस सीट पर 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।
चिराग पासवान VS शिव चंद्र राम
चिराग पासवान इस बार हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले चिराग जमुई सीट से सांसद चुने गए। उन्होंने जमुई सीट से 2014 और 2019 का चुनाव जीता था। हालांकि, इस बार उन्होंने अपने पिता की सीट से चुनाव लड़ने की ठानी थी। चिराग के पिता रामविलास पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से 9 बार सांसद रहे हैं। चिराग ने जमुई से अपने बहनोई अरुण भारती को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, चिराग पासवान का सीधा टक्कर पूर्व मंत्री शिव चंद्र राम से है। शिवचंद्र राम चिराग पासवान के पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान और चाचा पशुपति पारस के साथ आमने-सामने की लड़ाई लगातार लड़ते आ रहे हैं। इस बार भी चिराग पासवान को टक्कर देने के लिए महागठबंधन ने उनको आरजेडी के टिकट से उम्मीदवार बनाया है।
हाजीपुर सीट का चुनावी इतिहास
हाजीपुर सीट पर कांग्रेस और रामविलास पासवान परिवार का दबदबा देखने को मिला है। यहां के पहले सांसद राजेश्वरा पटेल थे, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 1952 में चुनाव लड़ा था। इसके बाद राजेश्वरा पटेल ने 1957 और 1962 का चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीत भी दर्ज की। 1967 में वाल्मीकि चौधरी और 1971 में रामशेखर प्रसाद सिंह भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर रामविलास पासवान चुनावी मैदान में उतरे और जीते। रामविलास ने 1980 का चुनाव भी जीता। 1984 में कांग्रेस के राम रतन राम जीते। हालांकि, 1989 के चुनाव को रामविलास पासवान ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और वापस यहां से जीत दर्ज की। 1991 में जनता दल के रामसुंदर दास जीते। 1996 से लेकर 2004 तक जितने भी चुनाव हुए उसे रामविलास पासवान ने ही जीता। 2009 में रामसुंदर दास जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव को पासवान परिवार ने ही जीता। 2014 में रामविलास पासवान और 2019 का चुनाव उनके भाई पशुपति कुमार पारस ने जीता।
हाजीपुर और यहां के जातीय समीकरण
हाजीपुर सीट पर एससी-एसटी समुदाय के वोटर्स ज्यादा हैं। पासवान, हरिजन और अन्य दलित समुदाय के लाखों वोटर्स हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भूमिहार, राजपूत, कुशवाहा सहित ओबीसी समुदाय के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। 12 अक्टूबर 1972 को वैशाली जिला बना, जो पहले मुजफ्फरपुर का हिस्सा हुआ करता था। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर है। हाजीपुर केला, आम और लीची के उत्पादन के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। हाजीपुर लोकसभा सीट के अंतगर्त छह विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजा पाकर, राघोपुर और महनार शामिल है।