दुमका: पूरे झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से एक दुमका लोकसभा सीट भी है। दुमका लोकसभा सीट के तहत कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा और सारठ विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें से 4 विधानसभा सीटों पर झामुमो, जबकि एक सीट पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। दुमका एक आदिवासी बाहुल्य इलाका है, जहां के 93 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं, जबकि करीब 40 फीसदी आबादी आदिवासी है। वहीं मुस्लिम समुदाय भी यहां के चुनाव में अहम रोल होता है।
2014 का चुनाव और उसके समीकरण
लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो झारखंड को चुनाव के लिए तीन चरणों में बांटा गया था। झारखंड में तीसरे, पांचवें और छठें चरण के तहत मतदान हुए। इसी क्रम में लोकसभा चुनाव के छठें चरण में 24 अप्रैल को मतदान हुआ। इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का पहले से कब्जा था। वहीं झामुमो के दिग्गज नेता शिबू सोरेन खुद यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने साल 2014 में सुनील सोरेन को मैदान में उतारा था। वहीं 16 मई को जब मतदान के परिणाम सामने आए तो झामुमो नेता शिबू सोरेन ने जीत दर्ज की। वहीं 2014 में मोदी लहर के बावजूद शिबू सोरेन का चुनाव जीतना बड़ी बात थी। इस चुनाव में जहां शिबू सोरेन को 335815 वोट मिले तो भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोरेन को 296785 वोट मिले।
2019 का चुनाव और उसके समीकरण
वहीं अब अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो दुमका सीट के समीकरण काफी बदल चुके थे, क्योंकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार पिछले पांच सालों से बनी हुई थी। इसका सीधा असर 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। इस बार भी 2014 की तरह ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन के सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुनील सोरेन चुनावी मैदान में थे। साल 2019 में झारखंड की दुमका सीट पर 19 मई को मतदान हुआ। वहीं 23 मई 2019 को आए परिणाम ने सबको चौंका दिया। कई बार से दुमका की सीट पर कब्जा रखने वाले शिबू सोरेन को भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने हरा दिया। इस चुनाव में सुनील सोरेन को 484923 वोट मिले, तो वहीं झामुमो नेता शिबू सोरेन 437333 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
क्या कहती है दुमका सीट की सियासत
दुमका लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनावों की बात करें तो 1957 में दुमका सीट पर जेएचपी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1962, 1967 और 1971 में दुमका पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 1980 में शिबू सोरेन ने पहली बार यहां से जीत दर्ज की, हालांकि 1984 में दोबारा कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा कर लिया। इसके बाद 1989, 1991 और 1996 तक दुमका सीट पर झामुमो ने जीत हासिल की। इसके बाद 1998 और 1999 में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की। साल 2002 के बाद से 2019 तक शिबू सोरेन यहां से लगातार जीते। वहीं 2019 के चुनाव में भाजपा नेता सुनील सोरेन से वह हार गए।