कन्याकुमारी: देश में कुछ ही हफ्तों बाद लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और सभी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया है। इन चुनावों के तहत देश की जनता अपने नुमाइंदे चुनकर संसद के निचले सदन लोकसभा में भेजेगी। कुल 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा और जिस पार्टी या गठबंधन को 272 या उससे ज्यादा सीटें मिलेंगी उसे सरकार बनाने का मौका मिलेगा। इन्हीं 543 लोकसभा सीटों में से एक कन्याकुमारी भी है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
कन्याकुमारी सीट पर होती है कांटे की टक्कर
कन्याकुमारी की लोकसभा सीट 6 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है। इन सीटों के नाम कन्याकुमारी, नागरकोइल, कोलाचल, पद्मनाभपुरम, विलावनकोड और किल्लियूर हैं। इनमें से कन्याकुमारी विधानसभा सीट पर AIADMK का कब्जा है, जबकि नागरकोइल सीट बीजेपी के पास है। पद्मनाभपुरम से डीएमके का विधायक है और बाकी की तीनों सीटें कांग्रेस के पास हैं। इस तरह देखा जाए तो कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर किसी भी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं है।
2014 में बीजेपी तो 2019 में कांग्रेस ने मारी थी बाजी
कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर 2014 में जहां बीजेपी उम्मीदवार राधाकृष्णन ने अपना परचम लहराया था वहीं 2019 में इस सीट पर कांग्रेस नेता वसंतकुमार ने बाजी मारी थी। अगस्त 2020 में वसंतकुमार के निधन के बाद 2021 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के नेता विजयकुमार ने बीजेपी के राधाकृष्णन को मात दी थी। विजयकुमार कन्याकुमारी सीट के दिवंगत सांसद वसंतकुमार के ही पुत्र हैं और समझा जाता है कि उन्हें चुनावों में सहानुभूति लहर का भी लाभ मिला था।
चुनावों में देखने को मिलता है सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी खूब देखने को मिलता है और यहां की आबादी में 48.6 फीसदी हिंदू हैं तो 46.8 फीसदी वोटर ईसाई हैं। मुसलमान और ईसाई वोटर मिलकर यहां 51 फीसदी का आंकड़ा पार कर लेते हैं और किसी उम्मीदवार को विजयी बनाने या हराने में अहम भूमिका अदा करते हैं। यही वजह है कि इस सीट पर कई बार कांटे की टक्कर देखने को मिलती है।
2014 और 2019 में बनी थी एनडीए की सरकार
2014 में लोकसभा चुनाव 7 अप्रैल से लेकर 12 मई तक कुल 9 चरणों में संपन्न हुए थे। इन चुनावों के तहत जनता ने 16वीं लोकसभा के लिए अपने नुमाइंदों को चुना था। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे 16 मई को आए थे। वहीं, 2019 में आम चुनाव 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक कुल 7 चरणों में संपन्न हुए थे और चुनावों के नतीजे 23 मई को आए थे। दोनों ही चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए ने शानदार जीत दर्ज की थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।