लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र की नागपुर लोकसभा सीट चर्चा में बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लगातार तीसरी बार टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने विकास ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारा है। मौजूदा समीकरणों को देखते हुए गडकरी की जीत मानी जा सकती है, लेकिन उनके लिए यह लड़ाई इतनी भी आसान नहीं होगी। नागपुर में पहले चरण में मतदान होना है और 19 अप्रैल को गडकरी के साथ विकास की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो जाएगी।
नितिन गडकरी अपने काम के दम पर वोट मांग रहे हैं और जीत को लेकर आश्वस्त हैं। शहर में स्वास्थ्य सेवाएं और सड़कें अच्छी हैं और गडकरी ने कई लोगों का मुफ्त इलाज भी कराया है। इसका काट ढूंढ़ने के लिए कांग्रेस उम्मीदवार कहते हैं कि सीमेंट की सड़कों से शहर का तापमान बढ़ गया है।
नागपुर सीट का इतिहास
1951 से 1966 तक यह सीट कांग्रेस के खाते में रही थी। कांग्रेस के दो बार के सांसद बनवारी लाल पुरोहित ने पाला बदलकर बीजेपी से चुनाव लड़ा तो 1996 में पहली बार यहां कमल खिला। माधव श्रीहरि अणे यहां से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक को भी एक बार जीत मिल चुकी है। 2014 में नितिन गडकरी ने यहां से जीत हासिल की और दूसरी बार भी सांसद बने। अब वह हैट्रिक के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं।
क्या हैं जातीय समीकरण?
मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के चलते बड़ी संख्या में मराठों को प्रमाण पत्र बांटे गए हैं और वह कुनबी समाज का हिस्सा बन गए हैं। इससे कुनबी समाज नाराज है, जिसका फायदा कांग्रेस उम्मीदवार को मिल सकता है। यहां 4.5 लाख प्रवासी मतदाता अहम भूमिका में रहते हैं। हालांकि, गडकरी के कामों का लाभ सभी वर्गों को मिला है। संघ का मुख्यालय होने के चलते माहौल बीजेपी के पक्ष में रहता है। इस वजह से भी गडकरी की जीत माना जा रहा है। नागपुर सीट के अंतर्गत छह विधानसभा सीट आती हैं। इनमें से चार पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। इस लिहाज से भी समीकरण बीजेपी के पक्ष में हैं।
मतदाताओं की स्थिति
नागपुर लोकसभा सीट में करीब 22 लाख मतदाता है। इनमें से करीब 4.5 लाख एससी और 2 लाख एससी वोटर हैं। यहां 3.5 लाख मराठी वोटर और 2 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। ब्राम्हण वोटरों की संख्या 1 लाख के करीब है।यह शहरी सीट है और अधिकतर वोट शहर में रहने वाले हैं।
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