बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट हमेशा से ही चर्चित सीट रही है। इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कई बार इस लोकसभा सीट पर चुनाव जीता था। साल 1977 में उन्होंने पहली बार सीट पर जीत हासिल करके कांग्रेस को बाहर किया था। 1989 में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार वोटों से हराकर रिकॉर्ड कायम किया था। इस सीट से रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस सांसद हैं। हालांकि. रामविलास के बेटे चिराग पासवान ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस सीट पर दावा ठोका है। आइए जानते हैं इस प्रमुख सीट का सियासी समीकरण।
क्या रहा है पुराने चुनाव का हाल?
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ा। इस कारण उनके भाई पशुपति पारस को हाजीपुर से उम्मीदवार बनाया गया था। पशुपति पारस ने अपने मुख्य प्रतिद्वंदी राजद के शिव चंद्रराम को 2 लाख से अधिक वोटों से हराया था। पशुपति पारस को 5,41,310 तो वहीं, शिव चंद्र राम को 3,35,861 वोट मिले थे। इस चुनाव में केवल 55 फीसदी वोटिंग हुई थी। वहीं, साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान ने कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी को हराया था। रामविलास को 4,55,652 तो वहीं, टोनी को 2,30,152 वोट मिले थे।
क्या है जातीय समीकरण?
हाजीपुर लोकसभा सीट एससी रिजर्व क्षेत्र है। यहां कुल मतदाताओं के संख्या 18 लाख से अधिक है जिसमें 10 लाख के करीब पुरुष तो वहीं, 8 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं। जातीय आधार पर बात करें तो हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान और रविदास समाज के लोग अच्छी खासी संख्या में हैं। इसके अलावा अति पिछड़े समाज की भी संख्या है। चुनाव में इन समुदायों के वोट से ही जीत-हार की दिशा तय होगी।
साल 2019 में कब हुए थे चुनाव?
चुनाव आयोग ने 10 मार्च, 2019 को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी। चुनाव आयोग द्वारा 7 चरणों में 2019 के चुनाव कराए जाने की घोषणा की गई थी। ये चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक चले थे। वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी। वहीं, साल 2014 में 7 अप्रैल से 12 मई तक चुनाव हुए थे। 16 मई को नतीजे जारी किए गए थे।