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इतनी बार हारा चुनाव कि लिम्का बुक में दर्ज हो गया रिकॉर्ड, पढ़ें इस नेता की अनोखी कहानी

भारत में एक ऐसा शख्स भी है जिसने चुनाव जीतने के बजाय हारने के मामले में एक रिकॉर्ड बना लिया है। तमिलनाडु के रहने वाले के. पद्मराजन ने 238 बार चुनाव हारकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया है।

Edited By: Adarsh Pandey
Updated on: March 29, 2024 9:02 IST
238 बार चुनाव हारने वाले के. पद्मराजन- India TV Hindi
Image Source : X (@ELECTSWORLD) 238 बार चुनाव हारने वाले के. पद्मराजन

अभी कुछ दिनों में लोकसभा के चुनाव शुरू हो जाएंगे। इस वक्त चारों तरफ लोग सिर्फ चुनाव की ही चर्चा कर रहे हैं। चाहे घर की बैठक हो या फिर चाय की टपरी हो, आपको हर जगह लोग चुनाव पर चर्चा करते हुए ही नजर आएंगे। हर कोई इस बात पर चर्चा कर रहा है कि इस बार किस सीट से कौन सा उम्मीदवार जीत सकता है। मगर आज हम आपको एक ऐसे उम्मीदवार के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने चुनाव जीतकर नहीं बल्कि उन्हें हारकर एक अलग ही रिकॉर्ड बना लिया है। यह शख्स इतनी बार चुनाव हारा कि उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल हो गया है। आइए आज हम इसी शख्स के बारे में बताते हैं।

238 बार चुनाव हारा यह शख्स

सबसे ज्यादा बार चुनाव हारने वाले इस शख्स का नाम के. पद्मराजन है जो तमिलनाडु के मेट्टूर के रहने वाले हैं। पद्मराजन को इलेक्शन किंग के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने पहली बार साल 1988 में मेट्टूर से चुनाव लड़ा था। अब तक वो 238 बार चुनावों में खड़े हुए और हर बार हारे हैं। पद्मराजन के अगर सबसे अच्छे प्रदर्शन की बात करें तो वह साल 2011 में देखने को मिला जब उन्हें मेट्टूर विधानसभा से चुनाव लड़ते हुए कुल 6,273 वोट मिले थे।

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम शामिल

आपने आज तक कई तरह के रिकॉर्ड्स के बारे में सुना और पढ़ा होगा। मगर हार के इस रिकॉर्ड के बारे में शायद ही कभी पढ़ा होगा जो के. पद्मराजन ने बनाया है। भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में के. पद्मराजन ने अपनी पहचान बनाई है। चुनाव में वो इतनी बार हार चुके हैं कि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम शामिल हो चुका है।

अब तक लाखों रुपये कर दिए खर्च

अगर आप चुनाव की प्रक्रिया को अच्छे से समझते हैं तो आप जानते होंगे कि चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। अगर उम्मीदवार चुनाव में 16 प्रतिशत से कम वोट पाता है तो उसे यह राशि वापस नहीं मिलती है जिसे जमानत जब्त होना कहते हैं। जब से के.पद्मराजन ने चुनाव लड़ना शुरू किया है, उनके लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने चुनाव में अब तक 1 करोड़ से भी अधिक खर्च कर दिया है।

बता दें कि के. पद्मराजन अब तक राष्ट्रपित से लेकर स्थानीय चुनावों में भाग लिया है। इस साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भी के. पद्मराजन खड़े हो रहे हैं। इस साल पद्मराजन तमिलनाडु के धर्मपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।

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