नई दिल्ली: पिछले कर्नाटक चुनावों में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी की वजह से उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी। उन्हें इस मामले में निचली अदालत ने सजा सुनाई थी। राहुल गांधी इस सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए, जहां उन्हें राहत मिली और सदस्यता बहाल हो गई।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने जनहित याचिका दाखिल की। इस याचिका में मांग की गई कि राहुल गांधी को सदस्यता रद्द की जाए। आज शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
कब अयोग्य घोषित हुए?
राहुल गांधी को 24 मार्च को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात के सूरत में मेट्रोपॉलिटन अदालत ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। दरअसल 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी।
'मोदी सरनेम' पर क्या कहा था राहुल ने?
राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनके उस बयान को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘क्यों सभी चोरों का सरनेम मोदी ही होता है?’ राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ बीजेपी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।