पटना: रविवार 28 जनवरी को नीतीश कुमार बिहार के नौवीं बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने रविवार सुबह को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और शाम को ही सीएम पद की शपथ ले ली। नीतीश कुमार के साथ-साथ आठ ने मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें तीन-तीन बीजेपी और जेडीयू के मंत्री हैं। वहीं एक मंत्री हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) से और एक मंत्री निर्दलीय है।
बीजेपी कोटा से बने हैं 3 मंत्री
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और डॉक्टर प्रेम कुमार भारतीय जनता पार्टी के कोटे से मंत्री बने हैं। वहीं जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को हम के कोटे से मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही बिहार के एकमात्र निर्दलीय विधायक संतोष कुमार सिंह को भी नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया है।
1999 में शुरू हुआ था सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर
अब अगर हम बात करें बीजेपी कोटे के मंत्रियों की तो सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति के चर्चित नाम बन चुके हैं। वह बीजेपी बिहार प्रदेश के अध्यक्ष भी हैं। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने नीतीश कुमार की नेतृत्व की महागठबंधन सरकार को जमकर घेरा था। सम्राट चौधरी कुशवाहा समुदाय से आते हैं। बीजेपी सम्राट चौधरी के साहरे कुशवाहा समुदाय के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना चाहती है। चौधरी का राजनीतिक सफ़र 1999 से शुरू हुआ था।
पिता रहे हैं समता पार्टी के संस्थापक सदस्य
सम्राट चौधरी के पिता स्वर्गीय शकुनी चौधरी लालू प्रसाद यादव के करीबी लोगों में से रहे हैं। उनके पिता खगड़िया से कई बार के विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके साथ ही वह समता पार्टी के सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं सम्राट चौधरी नीतीश कुमार की पिछले एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। बता दें कि सम्राट की राजनीति लालू यादव और नीतीश कुमार से होते हुए बीजेपी तक पहुंची है।
विजय सिन्हा को भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया
इसके साथ ही विजय सिन्हा को भी नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। विजय सिन्हा भी बिहार बीजेपी के तेजतर्रार नेताओं में से एक माने जाते हैं। 55 साल के विजय सिन्हा आरएसएस से जुड़े रहे हैं और 1983 से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वहीं मुख्यधारा की राजनीति में सिन्हा की एंट्री 1990 में हुई, जब बीजेपी ने इन्हें राजेंद्र नजग मंडल जिला पटना में उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद इन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार का प्रदेश सचिव बनाया गया।
लखीसराय से विधायक हैं विजय सिन्हा
विजय सिन्हा साल 2005 में लखीसराय से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे लेकिन प्रदेश में 6 महीने तक राष्टपति लगा रहा। नवंबर में दोबारा चुनाव हुए और इसमें वह हार गए। इसके बाद साल 2010 में विधानसभा चुनाव हुए और इसमें उन्हें जीत मिली। इस जीत के बाद विजय सिन्हा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लखीसराय विधानसभा सीट से लगातार 3 बार से विधायक चुनकर आ रहे हैं। वहीं उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वह सदन में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नीतीश और तेजस्वी सरकार को घेर रहे थे। विजय सिन्हा बीजेपी ने उन नेताओं में से एक थे, जो सरकार को सदन के अंदर और बाहर जबरदस्त तरीके से घेर रहे थे।
बीजेपी कोटे से प्रेम कुमार को भी बनाया गया विधायक
वहीं बीजेपी कोटा से बने एक और मंत्री प्रेम कुमार हैं। 68 वर्षीय प्रेम कुमार गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस विधानसभा क्षेत्र से डॉक्टर प्रेम कुमार साल 1990 से लगातार आठ बार के विधायक हैं। इससे पहले वह बिहार सरकार में कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, सार्वजानिक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग विभाग, सड़क निर्माण विभाग और शहरी विकास विभाग के मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा अक्टूबर 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें नेता विपक्ष भी चुना गया था। यहां वह जुलाई 2017 तक रहे।
जेडीयू कोटे से भी बने हैं तीन मंत्री
बीजेपी के अलावा जेडीयू के भी तीन विधायकों को नीतीश सरकार में मंत्री बनाया गया है। जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को मंत्री बनाया गया है। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने 77 साल उम्र में मंत्री पद की शपथ ली है। वह सुपौल से विधायक हैं और आठवीं बार विधानसभा में पहुंचे हैं। वह पार्टी के बड़े और नीतीश कुमार के करीबियों में से एक माने जाते हैं। बिजेंद्र सक्रिय राजनीति में 1967 में आ गए थे और 1990 में पहली बार विधायक बने। सुपौल विधानसभा क्षेत्र में बिजेंद्र का सिक्का चलता है। 1990 में पहली बार विधानसभा में पहुंचते ही उन्हें मंत्री पद दे दिया गया था और अब तक वह दर्जनभर से ज्यादा विभागों का काम देख चुके हैं।
विजय कुमार चौधरी को भी बनाया गया है मंत्री
वहीं जेडीयू कोटे से मंत्री बने एक अन्य विधायक विजय कुमार चौधरी हैं। विजय समस्तीपुर जिले की सरयागंज विधानसभा सीट से विधातक हैं। विजय 1982 से बिहार विधानसभा के सदस्य हैं और इन्हें भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद ही करीबी माना जाता है। वह वित्त, वाणिज्य कर और विधायिका संबंधी कार्य मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा विजय कुमार चौधरी विधानसभा अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। नीतीश कुमार इन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं और यह जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख भी रह चुके हैं।
बता दें कि बैंक में काम करते थे, लेकिन साल 1982 में अपने पिता के निधन के बाद वह नौकरी से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में आ गए और कांग्रेस के टिकट पर दलसिंहसराय से उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1985 और 1990 में कांग्रेस के तिअक्त पर ही लगातार तीन बार विधायक बने। वह साल 2000 से 2005 तक बिहार कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं। हालांकि 2005 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर नीतीश कुमार की जेडीयू में शामिल हो गए। 2005 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जदयू से सरयागंज विधानसभा सीट से टिकट मिली और तब से अभी तक यह यहां से जीतकर विधानसभा पहुंच रहे हैं।
श्रवण कुमार ने भी ली मंत्री पद की शपथ
जदयू के कोटे से बने तीसरे मंत्री श्रवण कुमार हैं। श्रवण कुमार नालंदा से विधायक हैं और सात बार विधायक रहे हैं। बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं। उन्होंने पहले जद (यू) के चीफ व्हिप के रूप में कार्य किया था। जदयू की झारखंड राज्य इकाई के प्रभारी भी रहे हैं। पिछले साल उन्होंने कहा था कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार I.N.D.I.A ब्लॉक के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार बनें। सीएम नीतीश कुमार के भरोसेमंद सिपहसालार माने जाने वाले श्रवण कुमार जेपी आंदोलन के बाद से ही राजनीति में सक्रिय हैं।
जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन बने मंत्री
संतोष कुमार सुमन ने भी सीएम नीतीश कुमार के साथ मंत्री पद की शपथ ली है। संतोष सुमन ने जून 2023 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने अपनी पार्टी HAM-S को जेडीयू के साथ विलय के प्रस्ताव के बीच राज्य मंत्रिमंडल छोड़ दिया था। इसके बाद वह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए थे। राज्य में सियासी कयासों के बीच जीतनराम मांझी से लालू यादव ने भी संपर्क किया था। हालांकि इसके बाद उन्होंने साफ़ कर दिया था कि वह एनडीए में ही रहेंगे। बता दें कि संतोष कुमार सुमन बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। वह पूर्व मंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग बिहार सरकार रहे हैं।
राज्य का एकमात्र निर्दलीय विधायक भी नीतीश कैबिनेट में शामिल
वहीं इन आठ मंत्रियों के बीच राज्य के एकमात्र निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह को भी नीतीश सरकार ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया है। हालांकि सुमित महागठबंधन की सरकार की कैबिनेट में भी शामिल थे। सुमित 39 वर्ष के हैं और जमुई के चकाई से निर्दलीय विधायक हैं। सुमित कुमार सिंह बिहार के कद्दावर नेता और पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं। सुमित सिंह एनडीए सरकार में भी मंत्री थे. सुमित कुमार सिंह के दादा स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ स्व. श्रीकृष्ण सिंह भी चकाई से दो बार विधायक रहे हैं।
बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर विधायक बने थे इसके बाद 2015 में उन्होंने जेडीयू से टिकट मांगा लेकिन नहीं मिलने पर वह निर्दलीय ही चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वह निर्दलीय ही लड़े लेकिन इस बार उन्होंने जीत हासिल की। वह बिहार विधानसभा के एकमात्र निर्दलीय विधायक हैं।