Highlights
- धर्मांतरण करने को इच्छुक व्यक्ति को ऐसा करने से 2 महीने पहले उपायुक्त को आवेदन देना होगा।
- अन्य धर्म अपनाने को इच्छुक व्यक्ति को अपने मूल धर्म से जुड़ी आरक्षण जैसी सुविधाएं गंवानी पड़ सकती हैं।
- मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि विधेयक फिलहाल विधि विभाग की जांच समिति के पास है।
बेंगलुरु: कर्नाटक विधानमंडल के वर्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी की सरकार द्वारा जिस प्रस्तावित धर्म परिवर्तन निरोधक विधेयक को पेश किये जाने की उम्मीद है, उसमें दंडीय प्रावधान की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधेयक में इस बात पर भी जोर दिया जा सकता है कि धर्मांतरण करने को इच्छुक व्यक्ति को ऐसा करने से 2 महीने पहले उपायुक्त को आवेदन देना होगा। उसमें यह भी प्रावधान हो सकता है कि अन्य धर्म अपनाने को इच्छुक व्यक्ति को अपने मूल धर्म, उससे जुड़ी आरक्षण जैसी सुविधाएं या फायदे गंवाने पड़ सकते हैं। हालांकि वह जिस धर्म को अपनाएगा, उसे उस धर्म से जुड़े लाभ मिल सकते हैं।
‘हम इसे कानूनी ढांचे के अंदर ला रहे हैं’
कर्नाटक के गृह मंत्री अरग ज्ञानेंद्र ने बेलगावी में कहा, ‘जो धर्मांतरण निरोधक कानून हम लाने जा रहे हैं उसका लक्ष्य किसी खास समुदाय को निशाना बनाना नहीं है बल्कि हम इसे कानूनी ढांचे के अंदर ला रहे हैं, यह संविधान के अनुच्छेद 25 में ही है कि बलात धर्मांतरण नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि ऐसा धर्मांतरण होता है तो उसमें दंडीय उपबंध नहीं था। हम (बलात धर्मांतरण के लिए) दंड, दंडनीय प्रावधान ला रहे हैं। जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता है उसे ऐसा करने से 2 महीने पहले उपायुक्त को इस आशय का आवेदन देना चाहिए।’
‘जो धर्मांतरण कराएगा, उसे भी आवेदन देना होगा’
ज्ञानेंद्र ने कहा, ‘जो धर्मांतरण कराएगा, उसे भी आवेदन देना होगा। जो व्यक्ति अपना धर्म बदलेगा, वह अपने मूल धर्म तथा उससे जुड़ी सुविधा एवं फायदे गंवा बैठेगा।’ सरकार इस शीतकालीन सत्र में धर्म परिवर्तन निरोधक विधेयक पेश कर सकती है। यह सत्र सीमावर्ती बेलगावी जिले में सोमवार को शुरू हुआ। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा कि धर्म परिवर्तन निरोधक विधेयक फिलहाल विधि विभाग की जांच समिति के पास है, वहां से मंजूरी मिलने के बाद उसे मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और फिर विधानसभा एवं विधानपरिषद में पेश किया जाएगा।