Highlights
- शिवकुमार ने राज्य सरकार की योजना को ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसकी इजाजत नहीं देगी।
- कांग्रेस नेता शिवकुमार ने कहा, 4 जनवरी को हम सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक कर रहे हैं।
- शिवकुमार ने पूछा, क्या वे (BJP) कुछ अन्य राज्यों की देखा देखी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं?
बेंगलुरु: कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने गुरुवार को हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राज्य सरकार की योजना को ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसकी इजाजत नहीं देगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार के स्वामित्व वाले मंदिर राज्य की संपत्ति और उसके खजाने हैं। शिवकुमार ने कहा, ‘वे ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं, मुजराई (विभाग) या सरकारी मंदिर प्रशासन के लिए स्थानीय लोगों को कैसे दिए जा सकते हैं?’
‘मंदिरों से राज्य को करोड़ों रुपये मिलते हैं’
शिवकुमार ने मंदिरों को सरकार की संपत्ति बताते हुए कहा, ‘यह सरकार की संपत्ति है, राजकोषीय संपत्ति है, इन मंदिरों द्वारा करोड़ों रुपये एकत्र किए जाते हैं। यह कैसा राजनीतिक रुख है? क्या वे (BJP) कुछ अन्य राज्यों की देखा देखी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं?’ उन्होंने कहा कि यह कर्नाटक में नहीं हो सकता और कांग्रेस इसकी अनुमति नहीं देगी। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘4 जनवरी को हम सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक कर रहे हैं, इस दौरान हम इस पर चर्चा करेंगे और अपना रुख सामने रखेंगे।’
‘हम मंदिरों को कानूनों और शर्तों से मुक्त करेंगे’
कर्नाटक सरकार हिंदू मंदिरों को उन कानूनों और नियमों से मुक्त करने के उद्देश्य से एक कानून लाएगी जो वर्तमान में उन्हें नियंत्रित करते हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को हुबली में प्रदेश बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही थी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं इस कार्यकारिणी को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार बजट सत्र से पहले इस आशय का एक कानून लाएगी। हम अपने मंदिरों को ऐसे कानूनों और शर्तों से मुक्त करेंगे। नियमन के अलावा और कुछ नहीं होगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे स्वतंत्र रूप से प्रबंधित हों।’
विधेयक को अभी कानून बनना बाकी है
मंदिरों को मुक्त करने वाला कानून लाने को बोम्मई सरकार के एक और बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, विधेयक को अभी कानून बनना बाकी है क्योंकि अभी इसका विधान परिषद में पेश होना और पारित होना लंबित है। राज्य में कुल 34,563 मंदिर मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें उनके राजस्व सृजन के आधार पर ग्रेड ए, बी और सी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
मंदिरों से सरकार को यूं मिलता है राजस्व
25 लाख रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाले कुल 207 मंदिर श्रेणी ए के अंतर्गत आते हैं, 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच के 139 मंदिर श्रेणी बी के अंतर्गत आते हैं, और 34,217 मंदिर श्रेणी सी के तहत 5 लाख रुपये से कम वार्षिक राजस्व के साथ आते हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित कई हिंदू संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाए। (भाषा)