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कर्नाटक विधानसभा ने भारी हंगामे के बीच धर्मांतरण विरोधी विधेयक को दी मंजूरी

सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इस विधेयक को ‘जनविरोधी, अमानवीय, संविधान विरोधी, गरीब विरोधी और कठोर’ बताते हुए पुरजोर विरोध किया।

Reported by: T Raghavan
Updated on: December 23, 2021 18:31 IST
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Image Source : TWITTER.COM/CMOFKARNATAKA कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को हंगामे के बीच धर्मांतरण विरोधी विधेयक को मंजूरी दे दी।

Highlights

  • भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के लिए सिद्धरमैया नीत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है।
  • कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखी और नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सत्तापक्ष के दावे का खंडन किया।
  • पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल (एस) ने भी विधेयक का विरोध करने की घोषणा की थी।

बेलगावी (कर्नाटक): कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को हंगामे के बीच धर्मांतरण विरोधी विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले ‘कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021’ पर हुयी चर्चा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के लिए सिद्धरमैया नीत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। अपने दावे के समर्थन में बीजेपी ने कुछ दस्तावेज सदन के पटल पर रखे। इसके बाद कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखी और नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सत्तापक्ष के दावे का खंडन किया।

कार्यालय में रिकॉर्ड देखने के बाद बदले सिद्धरमैया के सुर

हालांकि बाद में विधानसभाध्यक्ष कार्यालय में रिकॉर्ड देखने के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सिर्फ मसौदा विधेयक को कैबिनेट के सामने रखने के लिए कहा था लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया था। सिद्धरमैया ने कहा कि इस प्रकार इसे उनकी सरकार की मंशा के रूप में नहीं देखा जा सकता है। सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इस विधेयक को ‘जनविरोधी, अमानवीय, संविधान विरोधी, गरीब विरोधी और कठोर’ बताते हुए पुरजोर विरोध किया। उन्होंने आग्रह किया कि इसे किसी भी वजह से पारित नहीं किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा इसे वापस ले लेना चाहिए।

ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी किया विधेयक का विरोध
विधेयक का जिक्र करते हुए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे. सी. मधुस्वामी ने कहा कि विधेयक की शुरुआत कुछ बदलावों के साथ कर्नाटक के विधि आयोग द्वारा 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सलाह के तहत शुरू की गई थी। बता दें कि ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी विधेयक का विरोध किया है। इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान करता है।

विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों का भी प्रस्ताव है
विधानसभा में पारित हुए इस विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों का भी प्रस्ताव है और इस बात पर जोर दिया गया है कि जो लोग कोई अन्य धर्म अपनाना चाहते हैं, उन्हें कम से कम 30 दिन पहले निर्धारित प्रारूप में जिलाधिकारी के समक्ष घोषणापत्र जमा करना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल (एस) ने भी विधेयक का विरोध करने की घोषणा की थी। (PTI से इनपुट्स के साथ)

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