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पटना में विपक्ष की मीटिंग से पहले दिल्ली में अमित शाह से मिले जीतन राम मांझी, तय हुआ अगला कदम

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का समर्थन बिहार में बीजेपी के लिए काफी अहम है और उनका विपक्षी खेमे से बाहर आना महागठबंधन में एक बड़ी सेंध के रूप में देखा जा रहा है।

Reported By : Nitish Chandra Written By : Vineet Kumar Singh Published : Jun 21, 2023 16:02 IST, Updated : Jun 21, 2023 21:13 IST
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Image Source : FILE बिहार के पूर्व मंत्री संतोष सुमन अपने पिता जीतन राम मांझी के साथ।

नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतनराम मांझी ने पिछले कुछ दिनों में अच्छी-खासी सियासी हलचल मचाई है। ताजा खबर यह है कि मांझी दिल्ली पहुंचे हुए हैं और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं। अमित शाह से मुलाकात के बाद मांझी के बेटे संतोष सुमन ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी अब एनडीए का हिस्सा होगी। बता दें कि 23 जून को पटना में विपक्ष के बड़े नेता एक मीटिंग करने वाले हैं, और उससे ठीक पहले मांझी का यह कदम विपक्षी एकता का पेड़ खड़ा होने के पहले ही उसके जड़ में मट्ठे का काम कर सकता है।

'हमने NDA के साथ होने पर सहमति जताई'

शाह के साथ मांझी और उनके बेटे की बैठक के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे। राय बिहार के उजियारपुर से सांसद हैं। शाह से मुलाकात के बाद सुमन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मुलाकात हुई है और बहुत अच्छे वातावरण में बातें हुई हैं। सभी मुद्दों पर बात करने के बाद एक सहमति बनी है। हम निश्चित रूप से हम साथ चलने को तैयार हैं। आज हमने सहमति जता दी है कि हम NDA के साथ रहेंगे। आने वाले समय में चर्चा होगी कि हम कितने सीटों पर लड़ेंगे।’

मांझी ने नीतीश से वापस लिया समर्थन
इससे पहले मांझी की पार्टी HAM ने सोमवार को राज्य की नीतीश कुमार सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और इस आशय का एक पत्र राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर को सौंप दिया। HAM के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांझी ने अपने पुत्र संतोष सुमन के साथ राज्यपाल से सोमवार को मुलाकात की थी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि वह भविष्य के विकल्पों पर विचार-विमर्श के लिए अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में रहेंगे और उस दौरान वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित एनडीए के नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे। मांझी, सुमन और पार्टी के विधायक जब तक राजभवन के बाहर रहे, HAM के समर्थक नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।

‘JDU में विलय के लिए दबाव डाल रहे थे’
बिहार विधानसभा में HAM के मांझी सहित 4 विधायक हैं जबकि बिहार विधान परिषद के सदस्य सुमन ने एक हफ्ते पहले ही यह आरोप लगाते हुए राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी का JDU में विलय करने का दबाव डाल रहे थे। सत्तारूढ़ महागठबंधन के पास लगभग 160 विधायक हैं और इस गठबंधन में JDU, RJD, कांग्रेस और 3 लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। HAM की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक में सुमन को पार्टी की ओर से सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया था और उन्होंने समर्थन वापस लेने के निर्णय की घोषणा की।

‘हमें मांझी पर शक है कि वह जासूसी करते हैं’
JDU ने भी यह बात मानी थी कि वह चाहती थी कि HAM का उसमें विलय हो जाए। JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने HAM की तुलना एक ‘छोटी दुकान’ से की थी जिस पर मांझी की पार्टी के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए थे। वहीं, नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें मांझी पर शक है कि वह बीजेपी के इशारे पर महागठबंधन के नेताओं की जासूसी कर रहे थे। नीतीश कुमार ने मांझी को 23 जून की विपक्ष की बैठक से बाहर रखने के फैसले का बचाव करते हुए दावा किया था कि वह सब कुछ बीजेपी को ‘लीक’ कर देते।

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