Highlights
- भूपेश बघेल ने झारखंड से आए यूपीए के विधायकों से की मुलाकात
- मेफेयर रिसोर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
- हेमंत सोरेन को सता रहा अपने विधायकों की टूट का खतरा
Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सरकार बचाने की कवायद अब चरम पर है। शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सभी विधायकों को लेकर खूंटी के लतरातू स्थित सरकारी गेस्ट हाउस पिकनिक पॉलिटिक्स करने पहुंचे थे वहीं, आज हेमंत सोरेन ने यूपीए के विधायकों को रायपुर शिफ्ट कर दिया है। रांची से इंडिगो की स्पेशल फ्लाइट से यूपीए के 32 विधायक रायपुर पहुंचे हैं जिन्हें 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसोर्ट ले जाया गया। 2 दिनों के लिए बुक इस रिसोर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
कांग्रेस झारखंड प्रभारी अनिवाश पांडे और झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष भी विधायकों के साथ रायपुर पहुंचे है। रायपुर पहुंचे विधायकों में जेएमएम के 19 कांग्रेस के 12 और आरजेडी का एक विधायक है। झारखंड से तमाम विधायको के नवा रायपुर पहुंचने के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल मेफेयर रिसोर्ट पहुंचे। यहां उन्होंने झारखंड से आए यूपीए के विधायकों से मुलाकात भी की। भूपेश बघेल यहां सभी विधायकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा भी करेंगे।
हेमंत सोरेन को सता रहा अपने विधायकों की टूट का खतरा
वहीं रिसोर्ट में पूरी सुरक्षा के साथ-साथ वेटर्स और कर्मचारियों के मोबाइल फोन भी रखवाए गए हैं जिससे बाहर विधायकों के विडीयो या जानकारियां न जा सकें। दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने विधायकों की टूट का खतरा सता रहा है यही वजह है सोरेन यूपीए के तमाम विधायकों को लेकर कभी पिकनिक पॉलिटिक्स तो कभी रिसोर्ट पॉलिटिक्स कर रहे हैं।
विधानसभा में यूपीए के कुल 49 विधायक
झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में कुल 49 विधायक अपने हैं और उन्हें कुछ अन्य विधायकों का भी सरकार चलाने के लिए समर्थन प्राप्त है। राज्य विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं। इसके विपरीत मुख्य विपक्षी भाजपा के कुल 26 विधायक हैं और उसके सहयोगी आज्सू के दो विधायक हैं और उन्हें सदन में दो अन्य विधायकों को समर्थन प्राप्त है।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में फंसे सोरेन
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है। चुनाव आयोग ने माइनिंग लीज केस में गवर्नर को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। गवर्नर को इस संबंध में आखिरी फैसला लेना है। मामले में याचिकाकर्ता बीजेपी है जिसने जन प्रतिनिधि कानून की धारा 9 ए का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित कोई मामला आता है तो इसे गवर्नर के पास भेजा जाएगा और उनका फैसला अंतिम होगा। इसमें कहा गया है, 'ऐसे किसी भी मामले पर कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल निर्वचन आयोग की राय लेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे।' ऐसे मामलों में चुनाव आयोग की भूमिका अर्द्धन्यायिक निकाय की तरह होती है।