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Jharkhand Political Crisis: हेमंत सोरेन की विधायकी पर 9 सितंबर को हो सकता है फैसला, दिल्ली से रांची लौटे राज्यपाल

Jharkhand Political Crisis: झारखंड में लगभग 15 दिनों से चल रही राजनीतिक गतिविधियों के बीच हेमंत सरकार द्वारा विश्वास मत प्राप्त करने के बाद एक बार फिर सभी की नजरें राजभवन की ओर टिकी हैं। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सीएम की विधानसभा सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्यपाल रमेश बैस को निर्णय लेना है।

Edited By: Pankaj Yadav
Published : Sep 08, 2022 22:56 IST, Updated : Sep 08, 2022 22:56 IST
Hemant Soren
Image Source : ANI Hemant Soren

Highlights

  • राजनीतिक संकट के बीच राज्यपाल रमेश बैंस रांची लौटे
  • 9 सितंबर को हो सकता है सोरेन के विधायकी पर फैसला
  • निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही भाजपा - सोरेन

Jharkhand Political Crisis: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने के खतरे को लेकर झारखंड में जारी राजनीतिक संकट के बीच राज्यपाल रमेश बैंस गुरुवार को करीब एक सप्ताह लंबे दिल्ली दौरे से रांची लौटे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली रवाना होने से एक दिन पहले, एक सितंबर को बैंस ने सत्तारूढ़ संप्रग के विधायकों को आश्वासन दिया था कि वे लाभ के पद के मामले में सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्ति के अनुरोध वाली अर्जी पर भारत निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर सब कुछ स्पष्ट करेंगे। राजभवन में आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘‘राज्यपाल रांची लौट आए हैं। अभी तक उन्होंने कोई आदेश जारी नहीं किया है।’’ 

मुख्यमंत्री की विधायकी पर 9 सितंबर को होगा फैसला 

भारत निर्वाचन आयोग ने अपना फैसला 25 अगस्त को राज्यपाल को भेज दिया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। हालांकि, निर्वाचन आयोग के फैसले की अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन अटकलें हैं कि आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है। इससे पहले सोमवार को, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नीत गठबंधन सरकार ने विधानसभा में बेहद आसानी से विश्चासमत पा लिया। इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त के कारण राज्य में सरकार गिरने/बदलने को लेकर छाए संदेह के बादल छंट गए हैं और सोरेन की स्थिति मजबूत हुई है। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में 48 विधायकों (झामुमो के 29, कांग्रेस के 15 और राजद, राकांपा और भाकपा-एमएल(उदारवादी) के एक-एक विधायक) और एक निर्दलीय ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला। हालांकि, मतदान के दौरान भाजपा नीत राजग के सदस्य सदन से बाहर चले गए थे। 

राज्यपाल आखिर चुप क्यों हैं -हेमंत सोरेन

विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सोरेन ने कहा कि विश्वासमत की जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि झारखंड सहित गैर-भाजपा शासित राज्यों में भाजपा ‘‘लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।’’ मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजे जाने की खबरें मीडिया में आने के बाद 25 अगस्त से ही राज्य में अस्थिरता की स्थिति है। लेकिन राज्यपाल अभी भी चुप हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग के शिष्टमंडल ने उनसे चीजें स्पष्ट करने का अनुरोध किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि दो-तीन दिनों में ऐसा करेंगे। उसके बाद वह चुपके से दिल्ली चले गए।’’ 

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