Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. Jharkhand News : झारखंड में कौन है लोकल और कौन बाहरी ? अब सरकार के इस फॉर्मूले से होगी पहचान

Jharkhand News : झारखंड में कौन है लोकल और कौन बाहरी ? अब सरकार के इस फॉर्मूले से होगी पहचान

Jharkhand News : इसके साथ ही राज्य की सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को मौजूदा 14 प्रतिशत के बजाय 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है, साथ ही एसी एवं एसटी वर्ग के आरक्षण में दो-दो प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया।

Edited By: Niraj Kumar
Updated on: September 16, 2022 15:00 IST
Hemant Soren, CM, Jharkhand- India TV Hindi
Image Source : PTI Hemant Soren, CM, Jharkhand

Highlights

  • 1932 के खतियान को आधार बनाने का फैसला
  • कैबिनेट की बैठक में सोरेन सरकार का अहम फैसला
  • ओबीसी को 14 प्रतिशत के बजाय 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला

Jharkhand News : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के मंडरा रहे खतरे के बीच झारखंड में कौन लोकल है और कौन बाहरी यह तय करने के लिए  1932 के खतियान को आधार बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही राज्य की सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को मौजूदा 14 प्रतिशत के बजाय 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है, साथ ही एसी एवं एसटी वर्ग के आरक्षण में दो-दो प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया। 

कैबिनेट की बैठक में सोरेन सरकार का अहम फैसला

सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का कुल आरक्षण 77 प्रतिशत हो जाएगा। झारखंड सरकार की मंत्रिमंडल सचिव वंदना डाडेल ने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में  हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के फैसले लिये गये।

पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘स्थानीयता’ की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने और पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने समेत विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के लिए अलग-अलग विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किये जाने की स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने दोनों फैस्लों से संबधित दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया। 

स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए लाए जाएंगे विधेयक

डाडेल ने बताया कि मंत्रिमंडल ने केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया गया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दी जा सके। उन्होंने बताया कि स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए लाये जाने वाले नये विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022’ होगा। 

विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत 

वंदना डाडेल ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य में स्थानीय लोगों को परिभाषित किया जायेगा और मंत्रिमंडलीय फैसले के अनुसार अब राज्य में 1932 के खतियान में जिसका अथवा जिसके पूर्वजों का नाम दर्ज होगा उन्हें ही यहां का स्थानीय निवासी माना जायेगा। उन्होंने बताया कि जिनके पास अपनी भूमि या संपत्ति नहीं होगी उन्हें 1932 से पहले का राज्य का निवासी होने का प्रमाण अपनी ग्राम सभा से प्राप्त करना होगा। इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत तक करने का निर्णय लिया। 

अनुसूचित जातियों के लिए नौकरियों में आरक्षण का कोटा बढ़ा

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने विधानसभा में ‘झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण:अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिएः अधिनियम 2001 में संशोधन हेतु विधेयक 2022’ पेश करने का फैसला किया, जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए राज्य की नौकरियों में आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण प्रतिशत 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की व्यवस्था होगी। 

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के छात्रों को भी मिलेगा आरक्षण

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडलीय ने इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने का फैसला किया। पिछले वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिए 15 प्रतिशत और पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया है। स्थानीयता नीति पर राज्य के आदिवासी संगठनों ने लगातार 1932 खतियान को आधार बनाने की मांग की थी क्योंकि उनके अनुसार राज्य के भूमि रिकॉर्ड का अंग्रेज सरकार ने अंतिम बार 1932 में सर्वेक्षण किया था। इससे पूर्व झारखंड की रघुवर दास सरकार ने स्थानीयता की नीति तय करते हुए वर्ष 2016 में 1985 को राज्य की स्थानीयता तय करने के लिए विभाजक वर्ष माना था, जिसके खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement