जम्मू-कश्मीर से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। जम्मू-कश्मीर हुर्रियत के नेता मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। मीरवाइज फारूक को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अबतक नजरबंदी में रखा गया था। इसके बाद से अबतक वह मस्जिद जाकर जुमे की नमाज नहीं पढ़ा सके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि शुक्रवार को वह श्रीनगर के नौहट्टा में स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाजियों को नमाज पढ़ा सकेंगे।
पार्टी ने दी जानकारी
हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की रिहाई की जानकारी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सोशल मीडिया पर भी जारी की गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी गई जानकारी के मुताबिक, हुर्रियत ने कहा है कि 4 साल और 212 दिन बाद मीरवाइज उमर फारूक ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ेंगे। साथ ही ये भी कहा गया है कि वह 3 अगस्त, 2019 से अवैध और मनमानी हिरासत में थे।
गुलाम नबी ने किया स्वागत
जम्मू-कश्मीर के नेता गुलाम नबी आजाद ने मीरवाइज उमर फारूक को रिहा करने के कदम का स्वागत किया है। उन्होंने लिखा- स्वागत योग्य कदम! 4 साल की नजरबंदी के बाद, यह सुनकर खुशी हुई कि मीरवाइज उमर फारूक को श्रीनगर की जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा करने की अनुमति दी जाएगी। धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, और मौलवियों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। यह मेल-मिलाप और एकता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।"
हाई कोर्ट में दी थी याचिका
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द किए जाने के मद्देनजर नजरबंद किया गया था। वह तभी से अबतक नजरबंद थे। इसके विरोध में मीरवाइज ने कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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