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Jammu and Kashmir: "जम्मू-कश्मीर में केंद्र का प्रॉक्सी शासन," पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह का बीजेपी पर हमला

Jammu and Kashmir: AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर केन्द्र पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने चुनावों में देरी को सिर्फ लोकतंत्र को नुकसान नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन बताया।

Edited by: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: June 19, 2022 23:39 IST
Former Minister Harshdev singh- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Former Minister Harshdev singh

Highlights

  • आप नेता हर्षदेव सिंह ने की लोकतांत्रिक सरकार बहाल करने की मांग
  • 19 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया था
  • "प्रॉक्सी शासन जारी रखने के लिए चुनावों को बार-बार टाला जा रहा"

Jammu and Kashmir: AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह ने जम्मू-कश्मीर में केन्द्र का ‘प्रॉक्सी शासन’ होने का आरोप लगाया। उन्होंने रविवार को केंद्र पर हमला करते हुए इसे खत्म करने और लोकतांत्रिक सरकार बहाल करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार अपने वादों को पूरा करने में असफल रही है और वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के मुद्दे पर "देरी और इनकार" का तरीका अपना रही है।

"लोकतंत्र बहाली को लेकर अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं"

AAP नेता सिंह ने एक बयान में कहा, "जम्मू-कश्मीर में विधानसभा को 19 जून 2018 को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद केन्द्र सरकार के प्रॉक्सी शासन के चार साल पूरे हो चुके हैं लेकिन संघ शासित प्रदेश बना दिए गए पूर्ववर्ती राज्य में लोकतंत्र बहाली के संबंध में अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।" उन्होंने आरोप लगाया, "जनता को बार-बार धोखा देने के बाद उसके समक्ष जाने से बच रहे हैं और संघ शासित प्रदेश में अपना प्रॉक्सी शासन जारी रखने के लिए चुनावों को बार-बार टाल रहे हैं।"

"देरी करने से उच्चतम न्यायलय के आदेश का उल्लंघन"

सिंह ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द से जल्द कराने की जरूरत पर काफी बल दिया। आप नेता ने कहा कि इसमें और देरी करने से ना सिर्फ लोकतंत्र को नुकसान होगा बल्कि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन भी होगा। इसमें न्यायालय ने कहा है कि जिन राज्यों में विधानसभा कार्यकाल समाप्ति से पहले भंग कर दी गई है वहां छह महीने के भीतर चुनाव कराना जरूरी है। 

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