IRCTC Scam : आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाला मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई की विशेष अदालत ने जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने तेजस्वी यादव को कोर्ट ने यह हिदायत दी है कि वे सोच समझकर अपने बयान दें। जनता के बीच जब भी बोलें तो सोच-समझकर बोलें।
सीबीआई ने अपनी याचिका में तेजस्वी पर धमकी देने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया था। दरअसल, तेजस्वी ने सीबीआई छापेमारी को लेकर 25 अगस्त को प्रेस कांफ्रेंस कर सीबीआई पर टिप्पणी की थी। जिसके बाद सीबीआई ने 17 सितंबर को विशेष अदालत में याचिका दाखिल की थी। सीबीआई ने अपनी याचिका में तेजस्वी पर धमकी देने, संविधान को नीचा दिखाने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया कि क्योंकि तेजस्वी यादव अभी प्रभावशाली पद पर हैं और उनकी ओर से कही बातें जांच को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या है IRCTC घोटाला ?
दरअसल, सीबीआई ने 2017 में तेजस्वी यादव, लालू यादव, राबड़ी देवी समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ IRCTC घोटाले में केस दर्ज किया था। जिस केस में 2018 में तेजस्वी यादव को जमानत मिली थी। यह पूरा मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उस दौरान IRCTC के रांची और पुरी के दो होटलों को लीज पर प्राइवेट कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि होटलों को लीज पर दिए जाने के बदले पटना के बेली रोड में करीब तीन एकड़ की कीमती जमीन लालू परिवार को दी गई। पहले ये जमीन डिलाइट कंपनी को दी गई और उसके बाद इसे राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की स्वामित्व वाली लारा प्रोजेक्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी गई।आरोप है कि रेलवे के होटलों को लीज पर देने के एवज में डिलाइट कंपनी को जमीन दी गई और बाद में उस कंपनी से लारा कंपनी ने काफी कम कीमत में जमीन खरीद ली। डिलाइट कंपनी आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी की है।