2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में इंडिया अलायंस (Congress-AAP) एक भी सीट नहीं जीत सका। हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस ने दिल्ली में कुछ दिनों पहले एक बैठक बुलाई। पार्टी ने हार की वजह कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच आपस में समन्वय का न हो पाना माना है।
दोनों पार्टियों के समन्वय में रही कमी
दरअसल, आप और कांग्रेस के बीच में राष्ट्रीय स्तर पर जरूर गठबंधन हुआ लेकिन दोनो ही पार्टियों के कार्यकर्ता इस गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत नहीं कर पाए। दोनों ही पार्टियों के बीच में समन्वय में भी कमी रही जिसकी वजह से राजधानी की सातों सीट पर इंडिया गठबंधन की हार हुई। लेकिन इस चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन का दिल्ली में कांग्रेस को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत रहा अधिक
2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत इस चुनाव में 24.17 प्रतिशत रहा तो कांग्रेस 18.91 प्रतिशत वोट हासिल कर पाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 22.51% वोट प्राप्त हुए थे, तो वहीं आम आदमी पार्टी को 18.11% वोट मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के उम्मीदवार पांच सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे तो वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार 2 सीट पर दूसरे नंबर पर थे।
AAP एक सीट ज्यादा लड़ी चुनाव
2024 में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से एक सीट ज्यादा लड़ी। कांग्रेस ने तीन सीट पर चुनाव लड़ा तो आम आदमी पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसी वजह से 2019 के मुकाबले 2024 में आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ। साथ ही आम आदमी पार्टी जिन सीट पर चुनाव लड़ी उनमें कई सीट जनसंख्या के आधार पर बड़ी हैं, लिहाजा पार्टी के 2024 का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव से बढ़ा है।
BJP ने AAP के वोटर्स पर लगाई सेंध
इस चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत भले ही 56.86% से 54.35% हुआ हो लेकिन वो न सिर्फ दिल्ली की सातों सीट जीतने में कामयाब रही बल्कि आम आदमी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले कई जेजे क्लस्टर (झुग्गी झोपड़ी) इलाकों में उसने आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी भी की है।
इस वजह से भी कांग्रेस को हुआ नुकसान
2024 के लोकसभा नतीजों को विधानसभा सीट पर पार्टी के परफॉर्मेंस के हिसाब से देखा जाए तो करावल नगर, घोंडा, रोहतास नगर , बुराड़ी, जैसी सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। महाबल मिश्रा ,अरविंदर सिंह लवली, प्रहलाद सिंह साहनी, नीरज बसोया, राजकुमार चौहान जैसे लोगों ने कांग्रेस का दामन अलग अलग वजहों से छोड़ा। ऐसे में पार्टी का संगठन राजधानी में पिछले कुछ सालों में बेहद कमजोर हुआ है। अब ऐसे में दिल्ली में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के संगठन को खड़ा करना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।