मुंबई: शिवसेना (UBT) ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NCP सुप्रीमो शरद पवार के मंच साझा करने पर बड़ा बयान दिया है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा कि पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने वाले शरद पवार इस कार्यक्रम में शामिल न होकर उन लोगों की शंकाओं को दूर कर सकते थे, जिन्हें उनका इस समारोह में शामिल होना पसंद नहीं आया। संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि पीएम मोदी ने NCP पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और इसके बाद उन्होंने उस पार्टी को तोड़कर महाराष्ट्र की राजनीति को दलदल बना दिया।
पीएम मोदी से काफी गर्मजोशी के साथ मिले पवार
पुरस्कार समारोह से पहले पब्लिश हुए मराठी न्यूजपेपर में कहा गया, ‘यह पवार के लिए इस कार्यक्रम में अनुपस्थित रहकर लोगों के मन में उन्हें लेकर पैदा हो रही शंकाओं को दूर करने का अवसर था।’ बता दें कि कार्यक्रम में शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया और उनसे मुलाकात के दौरान गर्मजोशी दिखाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने और लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार स्वीकार करने के लिए मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर के दौरे पर रहे। लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट ने इस पुरस्कार की शुरुआत की थी।
‘...तो उनके नेतृत्व और साहस की प्रशंसा की जाती’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिछले महीने NCP से अलग होने के बाद पार्टी के 8 अन्य विधायकों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए थे। संपादकीय में कहा गया है कि यदि शरद पवार NCP में फूट डालने का विरोध करते हुए समारोह में शामिल नहीं होते, तो उनके नेतृत्व एवं साहस की प्रशंसा की जाती। इसमें कहा गया है कि देश ‘तानाशाही’ के खिलाफ लड़ रहा है और इस मकसद के लिए 26 विपक्षी दलों का गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ बनाया गया है। इसमें दावा किया गया कि शरद पवार इस गठबंधन के ‘महत्वपूर्ण सेनापति’ हैं।
‘नेता मंच साझा कर रहे, कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे’
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी के मुखपत्र के संपादकीय में कहा गया कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से लोगों को अलग अपेक्षाएं हैं। उसने कहा कि पीएम मोदी मणिपुर हिंसा पर बात करने के लिए तैयार नहीं है और देश के नेता का इस मामले पर नहीं बोलना राष्ट्रहित में नहीं है। संपादकीय में कहा गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ पुणे में प्रदर्शन हुए हैं और NCP कार्यकर्ता इसमें भाग ले रहे हैं। शिवसेना ने कहा कि यह अजीब स्थिति है, क्योंकि नेता मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता काले झंडे लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।