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केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- मैं कोई रबर स्टांप नहीं हूं जो बिना दिमाग लगाए बिलों को मंजूरी दे दूं

केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि उन्होंने मंत्रियों के आने और उन विधेयकों की सामग्री को समझाने के लिए लगभग दो साल तक इंतजार किया था।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 01, 2023 8:54 IST, Updated : Dec 01, 2023 8:54 IST
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Image Source : FILE केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान।

तिरुवनंतपुरम: केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को कहा कि वह कोई ‘रबर स्टांप’ या ‘हां में हां मिलाने वाले’ शख्स नहीं हैं, जो अपना दिमाग लगाए बिना राज्य विधानसभा की ओर से पारित विधेयकों पर अपनी मंजूरी दे देंगे। गवर्नर ने कहा कि जब कोई अध्यादेश या विधेयक उनके सामने आता है, तो वह यह पता लगाने के लिए अपना दिमाग लगाते हैं कि यह संवैधानिक और कानूनी रूप से सही है या नहीं। उन्होंने कहा कि केरल के लोगों के कल्याण के लिए बनाया गया कोई विधेयक या अध्यादेश उनकी मेज पर एक घंटे भी नहीं रहेगा।

‘मंत्री आए लेकिन स्पष्टीकरण नहीं दे सके’

उन्होंने कहा, ‘लोगों के कल्याण के लिए बनाए विधेयकों का मैं तुरंत निस्तारण कर दूंगा। लेकिन जहां वे (सरकार) संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उनकी स्वायत्तता को नष्ट करने के लिए कानून की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और संविधान की भावना के खिलाफ जाते हैं तो वे मुझसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि मैं उनकी हां में हां मिलाऊं। मैं रबर स्टांप नहीं हूं।’ राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित 7 विधेयकों के बारे में खान ने कहा कि उन्होंने मंत्रियों के आने और उन विधेयकों की सामग्री को समझाने के लिए लगभग दो साल तक इंतजार किया था। उन्होंने कहा, ‘मंत्री आए लेकिन स्पष्टीकरण नहीं दे सके।’

खान ने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया

गवर्नर ने कहा कि चूंकि सरकार ने उनके द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण देने के बजाय सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया इसलिए, उन्होंने 7 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया। उन्होंने यह दावा करते हुए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया कि 7 विधेयकों में से 4 धन विधेयक की प्रकृति के थे क्योंकि उनमें व्यय शामिल था और इसलिए उन्हें राज्य विधानसभा में पेश करने के लिए राज्यपाल की पूर्व अनुमति आवश्यक थी। शेष 3 के बारे में खान ने कहा कि ये विधेयक UGC के नियमों के विपरीत हैं। 

‘विधेयकों को ऐसे नहीं रोके रखना चाहिए’

गवर्नर के फैसले की विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनावश्यक रूप से रोक नहीं सकते। उन्होंने कहा, ‘उन्हें लगभग दो साल तक विधेयकों को अनुचित तरीके से रोक कर नहीं रखना चाहिए।’ साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष लंबित विधेयकों की विषयवस्तु के खिलाफ है। उन्होंने यह भी दावा किया कि गवर्नर और राज्य सरकार के बीच कोई विवाद या मतभेद नहीं है और यह सब जनता को गुमराह करने की कार्रवाई है।

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