बेंगलुरु: कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे तो पार्टी को समय-समय पर संकट से उबारने वाले डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम के पद से ही संतुष्ट होना पड़ेगा। कांग्रेस आलाकमान के फैसले के बाद अब बेंगलुरु में सिद्धारमैया खेमें में जहां जश्न है वहीं कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार को चार दिनों की रस्सा कस्सी के बाद हाईकमान के आगे सरेंडर करना पड़ा। कर्नाटक सीएम का फैसला कांग्रेस हाईकमान के लिए बहुत मुश्किल भरा था। आखिर कैसे नतीजों के बाद पल पल बदलते समीकरण के बीच कर्नाटक के कुर्सी के किस्से आगे बढ़ते रहे और डीके शिवकुमार की मेहनत पर सिद्धारमैया का अनुभव भारी पड़ गया? पढ़ें पूरी खबर-
सियासी कसरत में कहां पीछे छूट गए डीके शिवकुमार?
- 13 मई 2023- कर्नाटक विधानसभा चुनाव का नतीजा आया।
- कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 135, बीजेपी को 66 और JDS को 19 सीटें मिली, अन्य के खाते में 4 सीटें गई।
- प्रचंड बहुमत के बाद कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर चर्चा शुरू हो गई। मीटिंग, मंथन और मुलाकातों का दौर जारी रहा।
- 14 मई 2023 बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक।
सिद्धारमैया के नाम पर मुहर कैसे लगी?
नतीजे के अगले दिन यानि रविवार को बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक रखी गई। बैठक के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जितेंद्र सिंह और पूर्व जनरल सेक्रेटरी दीपक बाबरिया को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था। इनके साथ ही कर्नाटक कांग्रेस के इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला भी थे। ऑब्जर्वर्स ने हर एक विधायक से अलग-अलग रायशुमारी की। मुख्यमंत्री पर विधायकों की राय जानने के लिए ऑब्जर्वर्स ने बेंगलुरु के होटल शांगरी-ला में 4-5 घंटे तक बात की तो वहीं विधायक दल की मीटिंग में डीके शिवकुमार ने केक भी काटा तबतक सबकुछ ठीक चल रहा था।
रविवार को विधायकों की मीटिंग में सिद्धारमैया ने प्रस्ताव रखा कि मुख्यमंत्री का चुनाव खरगे ही करें। डीके समेत बाकी विधायकों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि विधायक दल की बैठक के दौरान होटल के बाहर डीके और सिद्धारमैया के समर्थकों ने नारेबाजी की। इधर विधायकों की मांग के बाद पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा जिसके बाद सोमवार को सीएम पद के दोनों ही दावेदार डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाया गया। राहुल गांधी ने सोमवार को कर्नाटक से लौटे ऑब्जर्वर्स और चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने उनसे कहा कि विधायकों की राय के हिसाब से ही मुख्यमंत्री का फैसला लिया जाए।
CM पद के लिए 2 नहीं, 4 दावेदार
सोमवार को दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हुआ तो कर्नाटक कांग्रेस के शिवकुमार और सिद्धारमैया ही नहीं, एमबी पाटिल और जी परमेश्वर भी सीएम की रेस में आगे आ गए। इधर दिल्ली में अलग-अलग विधायकों की संख्या और आबादी के मुताबिक कर्नाटक में सरकार बनने के फॉर्मूले पर मंथन होने लगा।
मंगलवार को लगभग तय हो गया था कि कुरुबा कम्युनिटी से आने वाले सिद्धारमैया को सीएम बनाया जा सकता है। उनके अंडर में तीन डिप्टी CM हो सकते हैं। ये तीनों अलग-अलग कम्युनिटी के होंगे। इनमें वोक्कालिगा कम्युनिटी से आने वाले डीके शिवकुमार, लिंगायत कम्युनिटी से आने वाले एमबी पाटिल और नायक/वाल्मिकी समुदाय के सतीश जारकीहोली शामिल हैं। कर्नाटक में ये तीनों ही जातियां- कुरुबा की आबादी 7%, लिंगायत 16%, वोक्कालिगा 11%, SC/ST करीब 27% हैं, यानी कांग्रेस इस फैसले से 61% आबादी को साधना चाहती थी। जाहिर है इस समीकरण के जरिए कांग्रेस 2024 का लोकसभा चुनाव साधना चाह रही थी। लेकिन डीके शिवकुमार हाईकमान को साफ मैसेज दे चुके थे वो सीएम से कम पर राजी नहीं थे।
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बुधवार को पल-पल बदलते रहे समीकरण
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सरकार के 5 साल के कार्यकाल में तीन साल सिद्धारमैया और आखिरी के दो साल डीके शिवकुमार को सीएम बनाये जाने पर हाईकमान ने सहमती दे दी थी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि विधायक दल की बैठक में डीके शिवकुमार ने दो CM के फॉर्मूले से असहमति जताई। इतना ही नहीं शिवकुमार ने सीएम पद से नीचे कुछ भी मानने के तैयार नहीं थे जिसके बाद कांग्रेस कर्नाटक चीफ डीके शिवकुमार और वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के समर्थकों ने पोस्टरबाजी शुरू हो गई। समर्थकों ने बेंगलुरु में जगह-जगह सिद्धारमैया और डीके को CM बनाने के लिए पोस्टर चस्पा कर दिए तो इधर दिल्ली में राहुल गांधी और खरगे ने दोनों ही नेताओं से घंटों तक मैराथन मीटिंग की और दिनभर की एक्सरसाइज के बाद बुधवार की देर रात पार्टी अलाकमान ने कर्नाटक के सीएम पर कड़ा फैसला ले लिया और कुरुबा समाज से आने वाले सिद्धारमैया एक बार फिर कर्नाटक के सीएम के लिए हाईकमान की पसंद बनकर उभरे।
बता दें कि राहुल गांधी ने ऑब्जर्वर्स से सभी विधायकों से वन-टु-वन बात करने को कहा था। सूत्रों की मानें तो इनमें 80 से ज्यादा विधायकों ने सिद्धारमैया के फेवर में वोट किया था जाहिर है हाईकमान ने उसी इनपुट के आधार पर ये फैसला लिया है।