अमरावती के ताडेपल्ली में वाईएसआरसीपी द्वारा निर्मित अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने के साथ कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। वरिष्ठ अधिकारी इस बात की जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं कि वाईएसआरसीपी ने पार्टी कार्यालय बनाने के लिए किस तरह से प्रमुख स्थानों पर जमीनों को हड़पने का काम किया है। साथ ही 26 जिला मुख्यालयों में सैकड़ों करोड़ रुपये की जमीन कैसे ली गई। उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपने पार्टी कार्यालय बनाने के लिए शहरों के बीचों-बीच स्थिति सभी जिला मुख्यालयों में दो-दो एकड़ की जमीन हस्तांतरित की है।
बाजार में जमीन की कीमत है हजार करोड़ के करीब
चौंकाने वाली बात यह है कि इस जमीन का बाजार में मूल्य करीब 900 करोड़ से 1 हजार करोड़ रुपये हैं। लेकिन अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए वाईएसआरसीपी ने 26 जिलों में से एक भी जिले में भवन निर्माण की अनुमति नहीं ली है। ये अवैध रूप से कब्जे वाली जमीनें सिंचाई, बंदोबस्ती जैसे विभागों की हैं। कुछ जमीनें आवंटित की गई हैं और कुछ प्रतिबंधित जमीनें हैं, जिन्हें पार्टी ने अपनी मर्जी से आवंटित किया है, जिसमें पूरी तरह से सत्ता का दुरुपयोग किया गया है। प्रत्येक इमारत के निर्माण पर अनुमानित कुल 15 करोड़ से 20 करोड़ रुपये का खर्च आया है। इमारतों की योजना इस तरह बनाई गई है कि उनमें बेहतरीन इंटीरियर और फर्नीचर का इस्तेमाल किया गया है।
निर्माण में खर्च हुए 2 हजार करोड़
निर्माण उद्योग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन इमारतों और बुनियादी ढांचे की कुल लागत 2 हजार करोड़ रुपये या उससे भी अधिक है। क्योंकि जगन मोहन रेड्डी चाहते थे कि जिला मुख्यालय में प्रत्येक इमारत महल जैसा हो। हर इमारत को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह किसी महल जैसा लगे और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश के इतिहास में किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने इतनी बड़ी रकम खर्च करके महंगे तरीके से पार्टी कार्यालय नहीं बनवाए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र में इतने लंबे समय से सत्ता में रही कांग्रेस या फिर वर्तमान में सत्ता में आई भाजपा के पास भी पार्टी कार्यालय के रूप में इतने आलीशान भवन नहीं थे।