Thursday, September 26, 2024
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नेमप्लेट के आदेश पर हिमाचल सरकार का यू-टर्न, योगी आदित्यनाथ की नकल कर फजीहत करा बैठे विक्रमादित्य सिंह

हिमाचल के लोकनिर्माण और शहरी विकास मंत्री सिंह ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले लोगों के लिए, खासकर भोज्य पदार्थ बेचने वालों के लिए, दुकान पर पहचानपत्र लगाना जरूरी होगा।

Edited By: Shakti Singh
Updated on: September 26, 2024 21:11 IST
Vikramaditya Singh and Yogi Adityanath- India TV Hindi
Image Source : PTI विक्रमादित्य सिंह और योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की तरह हिमाचल में भी कांग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रेहड़ी वालों के लिए नेमप्लेट अनिवार्य करने की बात कही थी, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उनके बयान का खंडन कर दिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने ऐलान किया था कि रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों को नाम प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इसके लिए नियम बनाया जाएगा। उनके इस बयान को लेकर जमकर आलोचना हुई। कांग्रेस के ही कई नेताओं ने विक्रमादित्य के इस बयान की आलोचना की। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कहा कि ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। कांग्रेस नेतृत्व के हस्तक्षेप तथा पार्टी के कुछ नेताओं की नाराजगी के बाद हिमाचल प्रदेश की सरकार ने सफाई दी कि दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने का कोई आधिकारिक निर्णय नहीं किया गया है।

हिमाचल के लोकनिर्माण और शहरी विकास मंत्री सिंह ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले लोगों के लिए, खासकर भोज्य पदार्थ बेचने वालों के लिए, दुकान पर पहचानपत्र दिखाना जरूरी होगा। उन्होंने कहा था कि यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले की तर्ज पर लिया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला से बात की और फिर शुक्ला ने विक्रमादित्य को खरगे की ‘भावना’ से अवगत करा दिया। राजीव शुक्ला ने कहा कि दुकानदारों का नाम प्रदर्शित करने के लिये कोई फैसला सरकार ने नहीं लिया है, बल्कि विधानसभा की एक समिति की अनुशंसा के आधार पर यह बात सामने आई, जिसका मकसद दुकानों और रेड़ी-पटरी वालो को विनियमित करना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह हिमाचल प्रदेश में दुकानदारों को नाम या फोटो प्रदर्शित करने की जरूरत नहीं है।

विक्रमादित्य सिंह का बयान

विक्रमादित्य सिंह ने कहा था, ‘‘हमने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए रेहड़ी-पटरी समिति द्वारा जारी पहचान पत्र (आईडी कार्ड) प्रदर्शित करने को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है, ऐसा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपनाए गए प्रारूप की तर्ज पर किया गया है, जिसने इस विचार को आगे बढ़ाया था।’’ राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि उसने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है जो रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वालों के लिए ‘नाम पट्टिका’ या अन्य पहचान प्रदर्शित करना अनिवार्य बनाता हो।  

हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में बनी थी नीति

बयान के अनुसार, पिछले हफ्ते हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने ‘रेहड़ी-पटरी दुकनदारों’ के लिए एक नीति तैयार करने के लिए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था। बाहरी श्रमिकों को उनकी पहचान के साथ पंजीकृत करने का निर्णय संजौली में एक मस्जिद के कथित अनधिकृत हिस्सों के विध्वंस के लिए कुछ हफ्ते पहले बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद आया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जयराम ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि सिंह को अपने बयान पर कायम रहना चाहिए।

बयान पर कायम रहें विक्रमादित्य- जयराम ठाकुर

हिमाचल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ठाकुर ने कहा,‘‘यदि विक्रमादित्य सिंह ने रेहड़ी-पटरी दुकानदारों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर नीति लागू करने के बारे में बात की है, तो उन्हें अपने बयान पर डटे रहना चाहिए।’’ खाद्य पदार्थों में थूकने और पेशाब मिलाने की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को खाद्य पदार्थ से जुड़ी दुकान के संचालकों, मालिकों और प्रबंधकों को अनिवार्य रूप से दुकानों पर उनका नाम और पता प्रदर्शित करने का आदेश दिया था। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि रसोइये और वेटर को मास्क और दस्ताने पहनने चाहिए, और अनिवार्य किया कि होटल और रेस्तरां में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

राजीव शुक्ला का बयान

राजीव शुक्ला ने कहा, ‘‘हमारी मुख्यमंत्री (सुखविंदर सिंह सुक्खू) से और विक्रमादित्य सिंह से बात हुई है। विधानसभा अध्यक्ष ने एक समिति बनाई थी कि रेड़ी-पटरी वालों लाइसेंस दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें बाहर तख्ती लगानी पड़ेगी कि यह नाम है। यह रेड़ी-पटरी वालों को विनियमित करने के लिए है।’’ उनका कहना था, ‘‘यह ‘योगी पैटर्न’ नहीं है। उत्तर प्रदेश में राजनीति और सांप्रदायिक नजरिये से करते हैं। यहां ऐसा नहीं है।’’

कांग्रेस में ही हुआ विरोध

इस मुद्दे पर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने खुलकर विरोध किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने कहा, ‘‘इससे आम व्यापारी, रेड़ी पटरी वाले, ढाबे वाले प्रताड़ित होंगे, यह कानून वापस होना चाहिए।’’ उनका कहना था कि इस तरह के कदम से ‘इंस्पेक्टर राज’ को बढ़ावा मिलेगा। छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है। किसी दुकान में जो सामान बिक रहा है उसका नाम होना चाहिए, दुकानदार का नहीं। जब कोई दुकान खुलती है तो पंजीकरण होता है और एक प्रमाणपत्र मिलता है जिसे उन्हें रखना होता है।’’ कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा था कि वे हिमाचल प्रदेश सरकार के इस रुख से सहमत नहीं है।

(इनपुट- पीटीआई भाषा)

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