#RespectWomen: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दल एक दूसरे पर हमलावर नजर आ रहे हैं। चुनाव के मौसम में महिलाओं का सम्मान भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। महिला सम्मान की बात क्यों हो रही है ये हम आको बाद में बताएंगे लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि कांग्रेस एक बार फिर महिला सम्मान के मुद्दे पर घिरती हुई नजर आ रही है। वजह है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का एक बयान जो उन्होंने मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी को लेकर दिया है।
क्या बोले रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला की अमर्यादित टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह हेमा मालिनी को लेकर आपत्तिजनक बयान देते हुए नजर आ रहे हैं। सुरजेवाला ने कहा, "एमएलए और एमपी लोग क्यों बनाते हैं, ताकि कोई उनकी बात सुने। कोई हेमा मालिनी तो हैं नहीं, जो ****** के लिए बनाते हो। फिल्मस्टार तो हैं नहीं।" इसके आगे वो कहत हैं, हम तो हेमा मालिनी का भी बड़ा सम्मान करते हैं। सुरजेवाला के इस बयान को बीजेपी ने आड़े हाथों लिया है और कांग्रेस पर महिलाओं के अपमान का आरोप लगाया है।
लंबी है नेताओं की फेहरिस्त
वैसे देखने वाली बात यह भी है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने महिलाओं को लेकर विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो महिलाओं के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपमानजनक बयान दे चुके हैं। ऐसा ही एक नाम लक्ष्मीकांत पार्सेकर का भी है। तो चलिए यहां ये भी जान लेते हैं कि हैं गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री ने महिलाओं के लेकर आखिर क्या बयान दिया था।
लक्ष्मीकांत पार्सेकर का अजीबोगरीब बयान
करीब नौ साल पहले तब के गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने नर्सों के धरना प्रदर्शन को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया था। इस बयान को लेकर विवाद भी खूब हुआ था। विरोध कर रही नर्सें जब पार्सेकर ने मिलने पहुंची थी तो तत्कालीन सीएम ने उनसे कहा था कि धूप में विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल करने से रंग काला पड़ जाएगा, फिर शादी के वक्त अच्छा दूल्हा नहीं मिलेगा। इस बात की जानकारी सीएम से मुलाकात करने के बाद नर्सों ने मीडिया को दी थी।
नर्सों ने क्या कहा
विरोध प्रदर्शन में शामिल नर्सों में से एक अनुशा सांवत ने कहा था ''जब हम अपनी मांगों को लेकर सीएम से मिले तो उन्होंने कहा कि लड़कियों को धूप में भूख हड़ताल पर नहीं बैठना चाहिए, इससे रंग काला पड़ जाएगा। ऐसा हुआ तो शादी के वक्त अच्छा दूल्हा नहीं मिलेगा।'' बयान को लेकर नर्सों की तरफ से कहा गया था कि हमने सीएम से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की थी। हमें लगा था कि सीएम हमारी मांगों को लेकर चिंतित हैं और इसलिए हमसे मुलाकात करना चाहते हैं।
सीएम ऑफिस ने किया था खंडन
हालांकि, जब विवाद बढ़ा तो इसी मुद्दे को लेकर तब सीएम कार्यालय के एक अधिकारी ने बयान के संबंध में कहा था, ''हमें जानकारी नहीं है कि इस प्रकार का कोई बयान दिया गया है, लेकिन इतना तो तय है कि सीएम ऐसा बयान नहीं दे सकते।''
मीडिया की सुर्खियां बना था बयान
बता दें कि, मामला साल 2015 का है, गोवा में एंबुलेंस 108 सेवा से जुड़ीं नर्सें और कर्मचारी विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ भूख हड़ताल कर रहे थे। इसे लेकर प्रदर्शनकारी तब के सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर से मिले थे जिसके बाद नर्सों को लेकर दिया उनका बयान मीडिया की सुर्खियां बना था।
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