Highlights
- आजाद ने पांच पेज का इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजा
- इस्तीफे की चिट्ठी में आजाद ने राहुल गांधी पर कसा तंज
- कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए-आजाद
Ghulam Nabi Azad Resigns : कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस (Congress) के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वे लंबे अर्से से पार्टी से नाराज चल रहे थे। वे पार्टी के अंदर बदलाव की मुहिम चलाने के समर्थक माने जाते थे। आजाद ने कुछ दिन पहले प्रचार समिति से भी इस्तीफा दे दिया था। आजाद ने पांच पेज का इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजा है। उन्होंने अपने इस्तीफे की चिट्ठी में लिखा-बहुत अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना रिश्ता तोड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में इस बात का उल्लेख किया है कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए।
जी-23 ग्रुप के नेताओं में काफी मुखर थे आजाद
गुलाम नबी आजाद की गिनती पार्टी के बेहद सीनियर नेताओं में होती थी और वे गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में एक माने जाते थे। लेकिन 2019 के बाद से पार्टी के अंदर बदलाव की आवाज उठने लगी और फिर जी-23 ग्रुप का उभार हुआ। इसमें वो नेता शामिल थे जो पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन की मांग उठा रहे थे। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद भी बेहद मुखर थे। इससे गांधी परिवार से उनकी दूरी बढ़ती जा रही थी।
चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष पद से दिया था इस्तीफा
गुलाम नबी आजाद की नाराजगी तब सामने आई थी जब उन्होंने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ घंटों बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी यह चाहती थीं कि कांग्रेस गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़े। इसलिए आजाद को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन कुछ घंटे के बाद ही आजाद ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। उसी वक्त से सियासी गिलयारों में आजाद को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे।
राजनीति से संन्यास लेने का संकेत
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इसी संबंध में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से एक कार्यक्रम में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दिया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा-'हमको समाज में बदलाव लाना है। कभी-कभी मैं सोचता हूं, और कोई बड़ी बात नहीं है कि अचानक आप सुनें कि मैं रिटायर हो गया हूं और समाजसेवा में लग गया हूं।' गुलाम नबी आजाद यहां 35 मिनट तक बोले, लेकिन उन्होंने यह पहले ही बता दिया था कि राजनीति पर नहीं बोलेंगे। उन्होंने कहा कि, 'भारत में राजनीति इतनी खराब हो गई है कि कई बार शक होता है कि क्या हम इंसान हैं।'