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Ghulam nabi Azad: कभी जम्मू कश्मीर के सीएम थे गुलाम नबी आजाद, लेकिन अपनी ही पार्टी में हाशिए पर आते गए

Ghulam nabi Azad: राहुल गांधी के कांग्रेस में सक्रिय होते ही जिन वरिष्ठ कांग्रेसियों को दरकिनार किया जाने लगा, उनमें से एक गुलाम नबी आजाद भी थे। उन्होंने मौके बे मौके अपना विरोध भी पार्टी आलाकमान को जताया।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Aug 26, 2022 12:10 IST, Updated : Aug 26, 2022 12:32 IST
Ghulam Nabi Azad
Image Source : INDIA TV Ghulam Nabi Azad

Highlights

  • आजाद के इर्द-गिर्द घूमती थी कश्मीर में कांग्रेस की राजनीति
  • अपने बयानों में कई बार किया पार्टी को इशारा
  • पीएम मोदी ने की थी गुलाब नबी आजाद की तारीफ

Ghulam nabi Azad: गुलाम नबी आजाद ने ​आखिरकार कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सभी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समूह जी-23 के अहम नेताओं में से थे एक गुलाम नबी आजाद। इससे पहले कपिल सिब्बल ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा की राह पकड़ी थी। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जम्मू कश्मीर में आने वाले समय में चुनाव हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी बहुत कमजोर हो गई है। 73 वर्षीय आजाद को कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव अभियान समिति की कमान भी सौंपी थी। 

आजाद के इर्द-गिर्द घूमती थी कश्मीर में कांग्रेस की राजनीति

दरअसल पिछले दो से ढाई दशकों में गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी के झंडाबरदार थे। वे जम्मू कश्मीर के सीएम भी रहे। लेकिन पिछले कुछ समय से वे अपनी ही पार्टी में हाशिए पर रखे गए। राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होते ही जिन वरिष्ठ कांग्रेसियों को दरकिनार किया जाने लगा, उनमें से एक गुलाम नबी आजाद भी थे। उन्होंने मौके बे मौके अपना विरोध भी पार्टी आलाकमान को जताया।

अपने बयानों में कई बार किया पार्टी को इशारा

हालांकि सोनिया गांधी गुलाम नबी आजाद को पार्टी में सक्रिय देखना चाहती थी, लेकिन  पिछले कुछ समय से वे पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे। कई मौकों पर अपने बयान में ये बातें इशारों इशारों में बोल चुके थे। उन्होंने तो हताश होकर राजनीति छोड़ने की बात भी एक बार कह डाली थी। चूंकि वे कांग्रेस पार्टी को ही अपनी जिंदगी मानते थे, इसलिए उन्होंने बहुत लंबे समय तक पार्टी के वापस ट्रैक पर आने और सबकुछ सुधर जाने का इंतजार भी किया, लेकिन ये इंतजार करना उनके लिए बेमानी था। अंतत: उनका धैर्य जवाब दे गया और नतीजा, आज पार्टी छोड़ने के रूप में सामने आया।

जब पीएम मोदी ने की थी गुलाब नबी आजाद की तारीफ

पिछले साल फरवरी माह में जब गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से बिदाई हो रही थी, इस मौके पर उनके सम्मान में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में उनके राजनीतिक कार्यकाल की प्रशंसा की थी। अपने भाषण में खुद पीएम मोदी भी कई बार भावुक हुए थे।  तब तो ये कयास राजनीति के गलियारों में लगाए जाने लगे थे कि वे कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। लेकिन कांग्रेस के लिहाज से देखा जाए तो उन्होंने इन सभी कयासों को झुठला दिया और सच्चे कांग्रेसी की तरह पार्टी के लिए काम किया। हालांकि जिस तरह से वे कांग्रेस की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट पिछले कुछ वर्षों में दिख रहे थे, तभी से ये लगने लगा था कि वे कांग्रेस को छोड़ सकते हैं। क्योंकि खुद उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब वो कांग्रेस नहीं रह गई है, जो पहले हुआ करती थी। उन्होंने तो यह भी कह दिया कि ये कांग्रेस अब नहीं बदल सकती। इन बातों को कहने में ऐसे व्यक्ति को पीड़ा होती ही है, जिसने अपना लगभग पूरा जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर दिया हो।

Ghulam Nabi Azad

Image Source : INDIA TV
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गुलाम नबी आजाद का राजनीतिक सफर

1973 में गुलाम नबी आजाद ने भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के बतौर राजनीति जीवन की शुरुआत की। इसके बाद उनकी सक्रियता और शैली को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। आजाद ने महाराष्ट्र में वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से 1980 में पहला संसदीय चुनाव लड़ा और विजयी हुए। 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया।वर्ष 2005 में आजाद के लिए वह सुनहरा दौर भी आया, जब वे जम्मू कश्मीर के सीएम बने और राज्य की सेवा की। उन्होंने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली।आजाद के जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। तब कांग्रेस राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी।

गुलाम नबी आजाद: राजनीतिक जीवन के अहम पड़ाव

  • 2008: भद्रवाह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए फिर चुने गए। उन्होंने दया कृष्ण को 29936 मतों के अंतर से हराया।
  • 2009: चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए चुना गया और बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 2014: राज्यसभा में वे कांग्रेस पार्टी की ओर से विपक्ष के नेता रहे।
  • 2015: गुलाम नबी आजाद पांचवीं बार राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए।
  • 2021:में विदाई के दौरान उनके बारे में चर्चा करके खुद पीएम मोदी भावुक हो गए थे।
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