Highlights
- खड़गे हैं गांधी परिवार के करीबी और राहुल-सोनिया के समर्थित उम्मीदवार
- शशि थरूर परिवर्तन की बात कहकर दे रहे खड़गे को कड़ी टक्कर
- थरूर जीते तो गांधी परिवार को पार्टी पर से नियंत्रण खोने का सता रहा डर
Congress president Election: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने में अब चंद समय और रह गया है। ऐसे में चुनाव परिणाम को लेकर गांधी परिवार में अंदरखाने खलबली है। सूत्रों के अनुसार मल्लिकार्जुन खड़गे को राहुल और सोनिया गांधी की पसंद बताया गया है और गांधी परिवार खड़गे को ही अध्यक्ष बनते देखना चाहते हैं। मगर शशि थरूर की चुनौती ने सबको परेशान कर दिया है। अगर खड़गे हारे तो गांधी परिवार के लिए यह बहुत बड़ी पराजय मानी जाएगी।
फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच सोमवार को पार्टी अध्यक्ष पद का चुनावी मुकाबला होगा और कांग्रेस में 24 साल बाद नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से कोई अध्यक्ष बनेगा। प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि गुप्त मतदान के जरिये पार्टी के नये अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। यहां पार्टी मुख्यालय में और देशभर में 65 से अधिक केंद्रों पर मतदान होगा। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा यहां एआईसीसी मुख्यालय में मतदान कर सकती हैं, वहीं राहुल गांधी कर्नाटक में बेल्लारी के संगनाकल्लू में भारत जोड़ो यात्रा के शिविर स्थल पर मतदान में भाग लेंगे।
खड़गे को थरूर की चुनौती
राहुल गांधी के साथ पीसीसी के करीब 40 प्रतिनिधि भी कर्नाटक में ही मतदान करेंगे जो यात्रा में शामिल हैं। गांधी परिवार के करीबी होने और कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के कारण खड़गे को पार्टी अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि थरूर भी खुद को पार्टी में बदलाव के लिए मजबूत प्रत्याशी के रूप में पेश कर रहे हैं। थरूर ने चुनाव प्रचार के दौरान असमान अवसरों के मुद्दे उठाये, लेकिन खड़गे और पार्टी के साथ उन्होंने यह भी माना है कि गांधी परिवार के सदस्य तटस्थ हैं और कोई ‘आधिकारिक उम्मीदवार’ नहीं है। चुनाव की अहमियत के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह हमेशा से ऐसे पदों के लिए आम-सहमति बनाने के कांग्रेस के मॉडल पर भरोसा करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू के बाद के कालखंड में इस मॉडल पर सबसे ज्यादा भरोसा के.कामराज करते थे।
थरूर की जीत से गांधी परिवार होगा कमजोर
रमेश ने कहा, ‘‘कल चुनाव है और यह विश्वास और भी मजबूत हुआ है। मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि सांगठनिक चुनाव वास्तव में किसी भी प्रकार से संगठन को मजबूती प्रदान करते हैं। वे निजी हित साध सकते हैं लेकिन सामूहिक भावना के निर्माण में उनका महत्व संदेहास्पद है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद यह बात भी इतनी ही दीगर है कि चुनाव होना भी महत्वपूर्ण है। रमेश ने कहा, ‘‘लेकिन मैं उन्हें ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा की तुलना में कम संस्थागत महत्व का मानता हूं। यह यात्रा कांग्रेस के लिए और भारतीय राजनीति के लिए भी क्रांतिकारी पहल है।’’ अध्यक्ष पद के चुनाव अभियान में अंतर साफ दिखाई दिया है। खड़गे के प्रचार में जहां पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, प्रदेश कांग्रेस इकाइयों के अध्यक्ष और शीर्ष नेता राज्य मुख्यालयों में उनकी अगवानी करते देखे गये हैं, वहीं थरूर के स्वागत में अधिकतर प्रदेश कांग्रेस समितियों के युवा प्रतिनिधियों को ही देखा गया। ऐसे में यदि खड़गे की हार होती है तो इससे गांधी परिवार को झटका लगना तय है। तब थरूर पर नियंत्रण करना राहुल और सोनिया के लिए कड़ी चुनौती होगी।