मध्य प्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले को लेकर कांग्रेस अब खुलकर भाजपा पर हमलावर हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर नर्सिंग घोटाले की जांच सीबीआई से करने की मांग की है। दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को भी जांच के दायरे में लेने की मांग की है। साथ ही पूरे मामले की जांच सीबीआई की SIT बनाकर हाई कोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग उन्होंने की है।
पीएम मोदी को दिग्विजय सिंह ने लिखा पत्र
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा, "मोदी जी मध्य प्रदेश में विगत एक दशक से गूंज रहे व्यापम भर्ती घोटाले की स्याही अभी सूखी भी नही थी कि एक और नर्सिंग कॉलेज घोटाले ने राज्य की साख को तार-तार कर दिया है। इस मामले में राज्य सरकार की जिम्मेदार एजेंसियों और शीर्ष स्तर के राजनेता से लेकर नौकरशाह तक पूर्ण रूप से लिप्त और हिस्सेदार हैं। हाल ही में आपकी बहुचर्चित एजेंसी सीबीआई के अफसरों ने भी करोड़ों रूपये की रिश्वत खाकर म.प्र. उच्च न्यायालय के आदेश पर अब तक की गई जांच को संदिग्ध बना दिया है।"
फर्जी तरीके से खोले गए नर्सिंग कॉलेज
उन्होंने लिखा है" पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके अति करीबी मंत्री विश्वास सारंग इस नर्सिंग घोटाले से बच निकलने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनकी नाक के नीचे और संरक्षण प्राप्त नौकरशाहों ने करोड़ों रूपये का लेनदेन कोरोना काल में सारे मापदंडों के विरूद्ध जाकर सैकड़ो की तादाद में नर्सिंग कॉलेज खोलने की अनुमति शिक्षा माफिया को प्रदान कर दी। तत्कालीन मंत्री परिषद के सदस्यों की शह पर अफसरों ने म.प्र. नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता अधिनियम 2018 की धज्जियां उड़ाते हुए 300 से अधिक नर्सिंग कॉलेज खुलवा दिये। इन फर्जी कॉलेजों में न पर्याप्त स्थान था न ही वांछित बिस्तरों का अस्पताल। यही नही माइग्रेट फेकल्टी के नाम पर दूसरे राज्यों के शिक्षकों को इन संस्थाओं में कार्यरत दिखाकर धोखाधड़ी की।"
कथित घोटाले को मिला "व्यापम 2" का नाम
दिग्विजय सिंह ने लिखा कि शिक्षा माफिया और अफसरों के गठजोड़ ने हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। मंत्री स्तर से संरक्षण प्राप्त विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव से लेकर आयुक्त/संचालक तकनीकी शिक्षा ने नर्सिंग डिग्री और डिप्लोमा जैसे कोर्स की विश्वसनीयता संदिग्ध बना दी। बता दें कि दिग्विजय सिंह ने इस कथित घोटाले को व्यापम 2 का नाम देते हुए कहा कि मेरे द्वारा इस मामले की जांच के लिये महामहिम राज्यपाल महोदय को 10.09.2023 को पत्र लिखकर करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार की लोकायुक्त या ई.ओ.डब्ल्यू. से जांच कराने की मांग की थी। (जिसकी प्रति संलग्न है) लेकिन जांचों की परतों में फंसने के डर से शीर्ष राजनेता और मंत्री इस ‘‘व्यापम-2’’ जैसे घोटाले से बचने की कोशिश करते रहे।