Highlights
- जीत पर द्रौपदी मुर्मू के घर परिवार में उत्सव जैसा माहौल
- पीएम मोदी और जेपी नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू को मिलकर बधाई दी
- द्रौपदी मुर्मू जमीन से जुड़ी नेता हैं और बिल्कुल बेदाग हैं
Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन चुकी हैं। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू को मिलकर बधाई दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यशवंत सिन्हा, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, पुष्कर सिंह धामी समेत कई राजनीतिक हस्तियां बधाई दे चुके हैं। वहीं, आपको बता दें कि वैसे द्रौपदी मुर्मू की जीत तो उसी दिन तय हो गई थी जिस दिन बीजेपी ने उन्हें अपना कैंडिडेट बनाया था। NDA के पास अपने दम पर इतने वोट थे कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय था लेकिन द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो दांव खेला है वो अहम है।
100 से ज्यादा आदिवासी बहुल जिलों और 1 लाख 30 हजार गांवों में जश्म मनाएगी बीजेपी
द्रौपदी मुर्मू आदिवासी हैं, जमीन से जुड़ी हैं, उनका लंबा राजनीतिक अनुभव है और बिल्कुल बेदाग है। आजादी के बाद पहला मौका है जब कोई आदिवासी राष्ट्रपति के पद पर पहुंचा है इसीलिए बीजपी द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का जश्न देश के 100 से ज्यादा आदिवासी बहुल जिलों और 1 लाख 30 हजार गांवों में मनाएगी यानि अब बीजेपी आदिवासियों के बीच अपनी पैठ को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।
क्या मैसेज देना चाहती है बीजेपी?
- आदिवासी समाज की सबसे बड़ी हितैषी बीजेपी
- पीएम मोदी वंचित तबके के लिए काम करते हैं
- मुख्य धारा से कटे समाज को हिस्सेदारी देती है BJP
- आदिवासी वोटर सिर्फ बीजेपी पर भरोसा करे
- चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट को वोट दें आदिवासी
एक आदिवासी महिला को देश के सर्वेच्च पद पर बैठाने का असर महिलाओं पर भी होगा। द्रौपदी मुर्मू के गृह राज्य ओडिशा, इससे लगे झारखंड और नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स में शेड्यूल ट्राइब्स के लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। बीजेपी अब इन लोगों के बीच अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओडिशा में अच्छा प्रदर्शन किया था और बीजेपी अब उसे विधानसभा चुनाव में दोहराना चाहती है।
मुर्मू की भारी बहुमत से जीत का राजनीति पर क्या असर?
बात सिर्फ ओडिशा की नहीं है, देश के अलग-अलग राज्यों में 495 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो शेड्यूल ट्राइब्स के लिए रिजर्व हैं। इसी तरह लोकसभा की 47 सीटें आनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। राज्यों की बात करें तो गुजरात की 27, राजस्थान की 25, महाराष्ट्र की भी 25, मध्यप्रदेश में 47, छत्तीसगढ़ में 29, झारखंड में 28 और ओडिशा की 33 सीटों पर आदिवासी समाज के वोटर्स हार जीत का फैसला करते हैं। इस वक्त गुजरात की आदिवासी बहुल 27 में से सिर्फ 9 सीट बीजेपी के पास हैं।
गुजरात में इसी साल चुनाव होने हैं इसी तरह राजस्थान में 25 में से 8, छत्तीसगढ़ में 29 में से सिर्फ 2 और मध्यप्रदेश में शेड्यूल ट्राइब्स के लिए रिजर्व 47 सीटों में से सिर्फ 16 सीट बीजेपी के पास हैं यानी पिछले चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में बीजेपी का प्रदर्शन उसकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। अब बीजेपी को उम्मीद है कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने से ST समुदाय के लोगों में पार्टी को लेकर सही मैसेज जाएगा और चुनावों में इसका फायदा मिलेगा। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर की रहने वाली हैं इसीलिए आज वहां के MLA ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू की जीत महिलाओं की, आदिवासियों की जीत है।