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किसी महिला के लिए उसके चरित्र पर लांछन लगाने से अधिक भयावह कुछ और नहीं हो सकता-दिल्ली हाई कोर्ट

पति-पत्नी के तलाक के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला के लिए उसके चरित्र पर लांछन लगाने से ज्यादा बुरा कुछ नहीं हो सकता।

Edited By: Kajal Kumari
Published : Sep 06, 2023 23:06 IST, Updated : Sep 06, 2023 23:06 IST
delhi high court decision
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली हाई कोर्ट ने कही बड़ी बात

दिल्ली: पति-पत्नी के तलाक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला के चरित्र पर लांछन लगाने से अधिक क्रूरता कुछ और नहीं हो सकती। अदालत ने तलाक के मामले में दंपति के पिछले 27 वर्षों से अलग-अलग रहने का जिक्र करते हुए क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक का फैसला सुनाते हुए ये बातें कहीं। उन दोनों की साल 1989 में शादी हुई थी और वे 1996 में अलग हो गये थे और तब से अलग रह रहे थे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘मानसिक क्रूरता’ शब्द इतना व्यापक है कि वह अपने दायरे में ‘वित्तीय अस्थिरता’ को ले सकता है। अदालत ने कहा कि इसका परिणाम किसी कारोबार या पेशे में पति की स्थिति मजबूत नहीं रहने को मानसिक परेशानी के रूप में देखने को मिल सकता है और इसे पत्नी के प्रति मानसिक क्रूरता का एक अनवरत स्रोत करार दिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि मानसिक क्रूरता को किसी एक मानदंड के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता।

पति ने पत्नी पर लांछन लगाया 

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में, मानसिक पीड़ा को समझना आसान है क्योंकि इस मामले में पत्नी कामकाजी थी और पति कामकाजी नहीं था। पति-पत्नी की वित्तीय स्थिति में भारी असमानता थी। ऐसे में पति  के खुद का निर्वाह करने में सक्षम होने के प्रयास निश्चित रूप से विफल रहे थे।'' महिला ने उच्च न्यायालय का रुख कर एक परिवार अदालत के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे पति ने उस पर ये आरोप लगाने शुरू कर दिये थे कि उसका (महिला का) उसके (पति के) एक करीबी रिश्तेदार और कई अन्य लोगों के साथ अवैध संबंध हैं। पति के लगाए इस लांछन पर ही उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘किसी महिला के चरित्र पर लांछन लगाने से अधिक क्रूरता कुछ नहीं हो सकती।’’

(इनपुट-पीटीआई)

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