Saturday, December 21, 2024
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Congress President Election: राहुल गांधी, अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच फंसा कांग्रेस अध्यक्ष पद का खेल!

क़रीब 20 साल बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है। साल 1998 के बाद से अबतक, अगर बीच में 2017-2019 के बीच के राहुल गांधी के कार्यकाल को छोड़ दें तो सोनिया गांधी ही पार्टी अध्यक्ष रहीं। पार्टी में ज़बरदस्त विरोध के बाद कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान किया।

Written By: Aditya Subham @aditya_shashi
Published : Sep 20, 2022 23:21 IST, Updated : Sep 22, 2022 20:30 IST
Congress President Election
Image Source : INDIA TV Congress President Election

Highlights

  • अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच फंसा मामला
  • कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कौन आगे कौन पीछे
  • राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं भी रहे हैं तब भी पार्टी में सर्वोपरि रहेंगे

क़रीब 20 साल बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है। साल 1998 के बाद से अबतक, अगर बीच में 2017-2019 के बीच के राहुल गांधी के कार्यकाल को छोड़ दें तो सोनिया गांधी ही पार्टी अध्यक्ष रहीं। पार्टी में ज़बरदस्त विरोध के बाद कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान किया। विरोध करने वाले G-23 के नेता में किसी ने पार्टी छोड़ दी तो किसी को हाशिए पर धकेल दिया गया है। ऐसे लोगों का पार्टी में रहना या ना रहना एक बराबर ही है। हाल में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पार्टी ने छोड़ी तो कांग्रेस नेताओं ने उनको बहुत अपमानित किया। यहां तक की ग़ुलाम नबी आज़ाद को बीजेपी का एजेंट तक बता दिया। 

ख़ैर, अब आते हैं वर्तमान में कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर क्या हो रहा है। चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष बनाने का जब ऐलान हुआ था, तब से लम्बे समय तक राहुल गांधी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे थे। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा अभियान के तीसरे दिन जब उन्होंने तमिलनाडु में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि “मैं कांग्रेस का अध्यक्ष बनूंगा या नहीं, यह तब स्पष्ट हो जाएगा जब अध्यक्ष पद का चुनाव होगा... मैंने बहुत स्पष्ट रूप से तय कर लिया है कि मैं क्या करूंगा, मेरे मन में कोई भ्रम नहीं है।”

अबतक सिर्फ़ दो लोगों के नाम सामने आ रहे हैं 

कांग्रेस प्रेसिडेंट के चुनाव का ऐलान होने से लेकर अबतक सिर्फ़ दो लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। पहला नाम है राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, जो गांधी परिवार के वफ़ादार हैं और गांधी परिवार के अलावा उनके लिए कुछ नहीं है। गांधी परिवार के सदस्य के ख़िलाफ़ कुछ बोलते ही नहीं है, मतलब ग़लत हो या सही, गांधी परिवार जो करेगा/कहेगा वही सही है। ख़बर भी आई थी कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत से पार्टी की कमान सम्भालने को कहा था.. लेकिन अगस्त महीने में सोनिया से हुए मुलाक़ात के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि मीडिया वालों ने यह बात फैलाई है कि सोनिया गांधी ने मुझे पार्टी की कमान सम्भालने को कहा है।

अगर सोनिया गांधी ने मीडिया वालों से यह बात कही हो तो अलग बात है। तब से लेकर आज तक अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने को लेकर सिर्फ़ सूत्रों के हवाले से ही ख़बर आ रही है। जैसे अभी एक ख़बर आई है कि अशोक गहलोत नवरात्री पूजा के दौरान नामांकन कर सकते हैं। वैसे तो सीएम अशोक गहलोत सार्वजनिक रूप से बार-बार कहते हैं कि राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं के भावनाओं को ध्यान में रखकर पार्टी का अध्यक्ष बन देना चाहिए। 

दूसरा नाम सांसद शशि थरूर का है

दूसरा नाम सांसद शशि थरूर का है। शशि थरूर तो कांग्रेस के G-23 गुट से ही आते हैं, लेकिन बाक़ियों की तरह संगठन में बदलाव को लेकर मुखर होकर कभी नहीं बोले हैं। शायद इस वजह से बाक़ियों की तरह उन्हें किनारे नहीं किया गया है। हां, लेकिन जब कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का ऐलान किया तो थरूर ने इस फ़ैसले का स्वागत किया। 19 सितम्बर को शशि थरूर और सोनिया गांधी की मुलाक़ात हुई, क्या बात हुई सार्वजनिक तो नहीं हुई, लेकिन बस इतना ही पता चल पाया कि सोनिया गांधी ने कहा है कि गांधी परिवार इस चुनाव को लेकर न्यूट्रल है। मीडिया ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश से सोनिया-थरूर की मुलाक़ात को लेकर जब सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि किसी को भी चुनाव लड़ने के लिए किसी से परमिशन लेने की ज़रूरत नहीं है। जयराम रमेश की इस बात से क़यास लगाए जाने लगे कि सोनिया गांधी से शशि थरूर चुनाव लड़ने के लिए परमिशन लेने गए थे। 

राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं भी रहे हैं तब भी पार्टी में सर्वोपरि रहेंगे

इन सब से इतर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का कुछ और कहना है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष पद बनने का आग्रह किया है, लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चला है कि राहुल गांधी ने इस प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज किया है। जिस दिन छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने प्रस्ताव पास किया उस दिन छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि रहुल गांधी को कार्यकर्ताओं के भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, और अपने फ़ैसले पर विचार करना चाहिए। अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के एक और वरिष्ट नेता पी.चिदम्बरम ने भी राहुल गांधी को अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करने को कहा है। साथ ही चिदम्बरम ने यह भी कहा कि अगर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं भी रहे हैं तो तब भी पार्टी में उनका स्थान सर्वोपरि ही रहेगा।

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