Highlights
- शशि थरूर ने कहा कि मेरे साथ 60 प्रस्तावक हैं।
- थरूर ने कहा कि मैं नामांकन वापस नहीं लूंगा।
- चुनाव के बाद हम मिलकर काम करेंगे: थरूर
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में पूरा मामला मलिकार्जुन खड़गे बनाम शशि थरूर पर आकर टिक गया है। खड़गे को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ G-23 के नेताओं का भी समर्थन मिला है। शशि थरूर का मानना है कि जिन लोगों ने पार्टी में चुनाव की बात कही थी अब वह आम सहमति की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरी समझ से बाहर है कि अचानक उनका मन क्यों बदल गया। साथ ही उन्होंने राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुए दुख भी जाहिर किया। थरूर का मानना है कि जिस तरह अध्यक्ष पद के चुनाव हो रहे हैं उसी तर्ज पर वर्किंग कमिटी के भी चुनाव होने चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे थरूर ने कहा, ‘5 साल बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव हो रहा है। गांधी परिवार ने तय किया कि अध्यक्ष पद चुनाव में वह शामिल नहीं होंगे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही मानते हैं कि चुनाव से पार्टी की मजबूती होगी जो कि एक अच्छी बात है। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री भी कह चुके हैं कि गांधी परिवार संगठन निष्पक्ष रहेंगे। मैंने अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और जगह-जगह अपने लोगों से मैं मुलाकात भी कर रहा हूं।’
सवाल: क्या जी 23 नेताओं का समर्थन न मिलने पर आपको बुरा लगा?
जवाब: जी 23 कोई संगठन नहीं था, सोनिया गांधी को जिन वरिष्ठ नेताओं ने चिट्ठी लिख कर भेजी थी उन्होंने कई लोगों से समर्थन मांगा और 100 लोगों से संपर्क किया था। लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के कारण कई लोगों के चिट्ठी पर दस्तखत नहीं हो सके। वहीं, चिट्ठी पर सिर्फ 23 लोग जो दिल्ली में उस वक्त मौजूद थे उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए और उन्हीं 23 लोगों के हस्ताक्षर लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी भेजी गई। जिन मुख्य 3 लोगों ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए थे, वे अब पार्टी में नहीं हैं। उन्होंने पार्टी छोड़ दी है।
मैं जी 23 का कोई प्रतिनिधि नहीं था और न ही होने की इच्छा है। मैं सिर्फ उनके विचारों के समर्थन में था, इनमें एक विचार था की पार्टी में चुनाव होने चाहिए। अब मैं चुनाव लड़ भी रहा हूं और 1 दिन वर्किंग कमिटी के लिए भी चुनाव होने चाहिए। जिन लोगों ने पार्टी में चुनाव की बात कही थी अब वे कह रहे हैं कि आम सहमति होनी चाहिए और चुनाव नहीं चाहिए। मुझे समझ नहीं आ रहा कि उनका मन इतनी जल्दी कैसे बदल गया। लेकिन मेरा मन नहीं बदला और मैं चुनाव लड़ रहा हूं। मैंने जो चिट्ठी में लिखा था मैं उस पर अभी भी कायम हूं।
सवाल: आपको भरोसे में लिया और फिर खड़गे के समर्थन में प्रस्तावक बन गए, आपको इस का दुख है?
जवाब: हर व्यक्ति आजाद है और वह अपना पक्ष रख सकता है। मुझे इसका दुख नहीं है क्योंकि मैंने उनसे बात नहीं की या एक साथ रहना चाहिए, ऐसा कुछ नहीं कहा। हम सब पार्टी में एक हैं, दोस्त हैं और सहयोगी भी हैं। यदि उनको कुछ अलग लगा तो यह उनकी मर्जी।
सवाल: क्या आप आखिर तक चुनाव लड़ेंगे या नामांकन वापस लेने की कोई उम्मीद है?
जवाब: मैं यह कैसे वापस ले सकता हूं? मेरे साथ 60 प्रस्तावक हैं। उन्होंने मेरी उम्मीदवारी पर दस्तखत किए हैं और कई लोगों ने मेरे लिए अपना समय भी दिया है। जो भरोसा उन्होंने मुझमें दिखाया है, मैं कैसे धोखा दे सकता हूं। मैं उनके लिए उनकी आवाज होकर इस चुनाव में लडूंगा। हां, मेरी हस्ताक्षर की सूची में इतने बड़े लोग नहीं हैं जो कि खड़गे जी की सूची में है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और साधारण व्यक्ति मेरे साथ हैं, इसलिए मैं नामांकन पत्र वापस नहीं ले सकता और न ही कोई इसकी गुंजाइश है।
सवाल: आप कैसे अपना समर्थन जुटा रहे हैं और लोगों तक पहुंच रहे हैं?
जवाब: आगामी 15 दिनों के अंदर में 12 शहरों में जाकर समर्थन जुटाऊंगा। लोगों से संपर्क करूंगा पब्लिक मीटिंग करूंगा और कई जगहों पर व्यक्तिगत रूप से भी मैं मिलने जाऊंगा। अलग-अलग माध्यम के जरिए मैं लोगों तक अपनी बात पहुंचा लूंगा और अपने अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर समर्थन मांगूंगा। हालांकि जो डेलीगेट्स की सूची मुझे दी गई है उन सूची में 90 फीसदी लोगों के फोन नंबर नहीं हैं, तो उन तक पहुंचना आसान नहीं है। इन सूची में कहीं पर नंबर है तो कहीं पता दिया हुआ है तो कहीं सिर्फ जिले का ही नाम शामिल है। मैंने विचार किया था कि जितने लोगों के नंबर मेरे पास होंगे मैं उनको एक संदेश भेजूंगा लेकिन अब यह संभव नहीं है।
सवाल: राजस्थान घटनाक्रम पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, क्योंकि वहां से पहले अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे थे?
जवाब: राजस्थान में जो हुआ वह बेहद दुखद है लेकिन मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा क्योंकि मैं इस बैठक में नहीं शामिल था और अंदर क्या बात हुई मुझे जानकारी नहीं है।
सवाल: कांग्रेस पार्टी में बदलाव के लिए आप वोट मांग रहे हैं, आपको लगता है खड़गे रहेंगे तो कठपुतली की तरह काम करेंगे?
जवाब: बिल्कुल नहीं, क्योंकि मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, हम कोई युद्ध नहीं कर रहे हैं। हम सब सहयोगी हैं, हमने एक साथ काम किया है और भविष्य में चुनाव बाद भी हमें साथ मिलकर ही काम करना होगा। मैं अध्यक्ष बनता हूं तो क्या मैं खड़गे जी को पार्टी की बेहतरी के लिए इस्तेमाल नहीं करूंगा? यह कोई सवाल नहीं। यदि आप किसी से भी पूछेंगे कि गांधी परिवार के अलावा वरिष्ठ नेताओं का नाम लें, तो हर सूची में खड़गे साहब का नाम जरूर आएगा।