नई दिल्लीः कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा आज लोकसभा में पहली बार भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने लोकसभा में क्या-क्या कहा आइए जानते हैं उनकी मुख्य बातें।
- बिना नाम लिए पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि भय फैलाने वाले लोग खुद भय में जी रहे हैं। ऐसा डर का माहौल तो पहले अंग्रेजों के राज में भी नहीं था। ये देश भय से नहीं साहस से चलेगा।
- प्रियंका गांधी ने कहा कि पहले के राजा भेष बदलकर जनता के बीच जाते थे। अब के राजा भेष बदलते तो हैं लेकिन जनता के बीच नहीं जाते और न ही उन्हें आलोचना सुननी पंसद है। आज का राजा जनता के बीच जाने से डरता है। ऐये सरकार आलोचना से डरती है। इस सरकार में सदन में चर्चा की हिम्मत नहीं।
- लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आज देश की जनता मांग कर रही है कि जातिगत जनगणना हो। सत्ता पक्ष के साथी ने इसका जिक्र किया, ये जिक्र भी लोकसभा में आए इन नतीजों की वजह से ही हो रहा है। जाति जनगणना इसलिए जरूरी है ताकि हम सबकी स्थिति जान सकें और उसके मुताबिक नीतियां बना सकें।
- प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है। ऐसा सुरक्षा कवच जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है। यह न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। यह दुखद है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस कवच को तोड़ने का पूरा प्रयास किया है। संविधान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा है। यह वादे सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है। लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है।
- भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि संभल के कुछ लोग हमसे मिलने आए थे, जो मृतकों के परिवार के सदस्य थे। उनमें दो बच्चे थे-अदनान और उजैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का है। उनके पिता एक दर्जी थे। दर्जी का बस एक ही सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा...पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझे बताया कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा। यह सपना और आशा उसके दिल में हमारे भारत के संविधान ने डाली है।
- हाथरस और मणिपुर को लेकर इनके माथे पर शिकन नहीं। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई। उसके खेत जलाए गए थे और उसके भाइयों को पीटा गया था। मैं उस बच्ची के पिता से मिली। उस बच्ची के पिता ने कहा: 'मुझे न्याय चाहिए। मेरी बेटी अपने जिले में FIR दर्ज कराने गई तो उसे मना किया गया। फिर उसे दूसरे जिले जाना पड़ा। वो रोज सुबह उठकर अकेली अपना मुकदमा लड़ने दूसरे जिले में ट्रेन से जाती थी। पिता ने बताया कि मैं उसे मना करता था कि ये लड़ाई छोड़ दो, लेकिन उस बच्ची ने कहा कि 'पिता जी, ये मेरी लड़ाई है, जिसे मैं लडूंगी। उस बच्ची और देश की करोड़ों महिलाओं को ऐसी हिम्मत हमारे संविधान ने दी है।
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हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है। इस ज्योत ने हर भारतीय को शक्ति दी है कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता है। इस संविधान ने हर देशवासी को ये अधिकार दिया है कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। इस संविधान ने हर देशवासी को ये अधिकार दिया है कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। इस ज्योत ने हर हिंदुस्तानी को ये विश्वास दिया कि देश की संपत्ति में उसका भी हिस्सा है। उसे एक सुरक्षित भविष्य का अधिकार है।
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हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है। इस ज्योत ने हर भारतीय को शक्ति दी है कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता है। इस ज्योत ने हर हिंदुस्तानी को ये विश्वास दिया कि देश की संपत्ति में उसका भी हिस्सा है। उसे एक सुरक्षित भविष्य का अधिकार है। उम्मीद और आशा की ये ज्योति मैंने देश के कोने-कोने में देखी है। उम्मीद और आशा की ये ज्योति मैंने देश के कोने-कोने में देखी है। हमारे देश में संवाद और चर्चा की हजारों साल पुरानी परंपरा रही है।
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ये परंपरा हर धर्म, दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में दिखती है। वाद-संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम निकला था, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। ये एक बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी। इस आंदोलन से देश के किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी.. सभी जुड़े थे। सबने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। इसी आजादी की लड़ाई से देश में एक आवाज उठी, जो हमारा संविधान है। ये साहस और आजादी की आवाज थी।
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प्रियंका गांधी ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराओ...दूध का दूथ पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं पर फर्जी मुकदमें लगाए जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है।