नई दिल्ली: देश में इन दिनों इलेक्टोरल बॉण्ड का मामला छाया हुआ है। इसी बीच कांग्रेस ने पीएम केयर्स फंड को लेकर सवाल खड़े किया है। कांग्रेस ने दावा किया कि आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ तथा इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल किया कि इस कोष को लेकर पारदर्शिता का इतना अभाव क्यों है? कोविड-19 महामारी के समय ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना की गई थी।
पीएम केयर्स फंड के पैसों का पता नहीं
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि ‘‘अब जब चुनावी बॉण्ड के माध्यम से मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और डराने-धमकाने की राजनीति से जुड़े चौंकाने वाले विवरण सामने आ रहे हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार ने कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक और रास्ता खोल रखा है और वह है ‘पीएम केयर्स फंड’।’’ उन्होंने दावा किया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में कुल कितना पैसा आया है और इसमें दान देने वाले कौन हैं, इसकी आधिकारिक तौर पर कोई रिपोर्ट नहीं है, लेकिन खबरों से पता चलता है कि इसे कम से कम 12,700 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ।
पीएम केयर्स फंड भी एक घोटाला
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को कैग और सूचना के अधिकार कानून की निगरानी से छूट प्राप्त है, लेकिन यह सबको पता है कि सरकार के स्वामित्व और संचालन वाले कम से कम 38 सार्वजनिक उपक्रमों ने इस कोष में 2,105 करोड़ रुपये की बड़ी राशि दान की है। रमेश ने कहा कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को सरकार से कई विशेष छूट मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी की शुरुआत के चार साल बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ, इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया और इसके प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता की इतनी कमी क्यों है।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड की तरह ‘पीएम केयर्स फंड’ भी एक घोटाला है, जिसके सामने आने का इंतजार है।
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