Highlights
- सोशल इंजीनियरिंग की तैयारी में कांग्रेस
- कमजोर वर्गों को फिर से जोड़ने की कोशिश
- 50 प्रतिशत तक दिया जा सकता है प्रतिनिधित्व
Congress Chintan Shivir: लगातार चुनावी हार के चलते अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस कमजोर वर्गों को एक बार फिर से अपने साथ जोड़ने के लिए ‘सोशल इंजीनियरिंग’ की राह अपनाने की तैयारी में है। वह अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए संगठन में हर स्तर पर 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर सकती है।
किन विषयों पर बनी सहमित
पार्टी के ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ के दूसरे दिन इस विषय पर सहमति बनाने के साथ ही कांग्रेस ने महिला आरक्षण को लेकर ‘कोटे के भीतर कोटा’ के प्रावधान पर अपने रुख में बदलाव की तरफ कदम बढ़ाया और उसने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की पैरवी का मन बनाया। उसने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से यह आह्वान भी किया कि दुनिया और देश के हालात को देखते हुए उसे आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने पर विचार करना चाहिए।
चिंतन शिविर के दूसरे दिन कांग्रेस ने किसानों के लिए ‘कर्जमाफी से कर्जमुक्ति’ का भी संकल्प लिया और कहा कि अब देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी अधिकार मिलना चाहिए तथा किसान कल्याण कोष की भी स्थापना होनी चाहिए। चिंतन शिविर के लिए गठित कांग्रेस की सामाजिक न्याय संबंधी समन्वय समिति की बैठक में हुए मंथन का ब्योरा देते हुए इसके सदस्य के. राजू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसको लेकर चर्चा की गई कि क्या संगठनात्मक सुधार करने चाहिए जिससे पार्टी कमजोर तबकों को संदेश दे सके।’’
कमजोर वर्गों को 50 प्रतिशत तक प्रतिनिधित्व
उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव भी आया है कि कांग्रेस अध्यक्ष के अधीन एक सामाजिक न्याय सलाहकार समिति बनाई जाए जो सुझाव देगी कि ऐसे क्या कदम उठाए जाने चाहिए जिससे कि इन तबकों का विश्वास जीता जा सके। राजू ने कहा, ‘‘समिति ने फैसला किया है कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों को ब्लॉक कमेटी से लेकर कांग्रेस कार्य समिति तक सभी समितियों में 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया जाए।’’ उनके अनुसार, समिति ने सिफारिश की है कि पार्टी को जाति आधारित जनगणना के पक्ष में रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी ‘सब-प्लान’ को लेकर केंद्रीय कानून और राज्यों में कानून बनाने की जरूरत है।
निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी हो आरक्षण
राजू ने कहा, ‘‘सरकारी क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं। ऐसे में हम पार्टी नेतृत्व से सिफारिश कर रहे हैं कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय संबंधी समिति की ओर से लोकसभा और विधानसभाओं में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की भी पैरवी की गई है। राजू ने कहा, ‘‘समिति में यह सहमति बनी है कि महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाना चाहिए और इसमें कोटा के भीतर कोटा होना चाहिए। इसमें एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।’’ महिला आरक्षण विधेयक संप्रग सरकार के समय राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन कई दलों के विरोध के चलते यह लोकसभा में पारित नहीं हो पाया।
महिला आरक्षण के रुख में बदलाव
महिला आरक्षण मामले पर पहले के रुख में बदलाव पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने कहा, ‘‘इस पर (कोटा के भीतर कोटा) ऐतराज कभी नहीं था। उस समय गठबंधन की सरकार थी। सबको एक साथ लेना मुश्किल था। उस समय हम इसे पारित नहीं करा पाए। समय के साथ बदलना चाहिए। आज यह महसूस होता है कि इसे इसी प्रकार से आगे बढ़ना चाहिए।’’ सैलजा ने यह भी कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों और दिव्यांगों को भी पार्टी में उचित सम्मान देने का विचार आया है तथा एक संस्कृति इकाई बनाने का भी सुझाव आया है।
आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने की जरूरत
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपना रही है, पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से सामाजिक न्याय होता है। कांग्रेस के चिंतन शिविर के लिए गठित अर्थव्यवस्था संबंधी समन्वय समिति के संयोजक चिदंबरम ने संवाददाताओं से बातचीत में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘उदारीकरण के 30 वर्षों के बाद यह महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों को देखते हुए आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने के बारे में विचार करने की जरूरत है।’’ पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने की उनकी मांग का यह मतलब कतई नहीं है कि कांग्रेस उदारीकरण से पीछे हट रही है, बल्कि उदारीकरण के बाद पार्टी आगे की ओर कदम बढ़ा रही है।
महंगाई अस्वीकार्य स्तर पर पहुंची
समन्वय समिति की बैठक में हुई चर्चा से निकले निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए चिदंबरम ने कहा कि महंगाई अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गई है और आगे भी इसके बढ़ते रहने की आशंका है। उनके मुताबिक, रोजगार की स्थिति कभी भी इतनी खराब नहीं रही, जितनी आज है। चिदंबरम ने जीएसटी के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि राज्यों की खराब हालत को देखते हुए उन्हें जीएसटी की क्षतिपूर्ति करने की मियाद अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ा दी जाए जो आगामी 30 जून को खत्म हो रही है।
एमएसपी पर मिले कानूनी गारंटी
पूर्व गृह मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्र और राज्यों के बीच विश्वास पूरी तरह खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार महंगाई का ठीकरा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर नहीं फोड़ सकती। महंगाई में बढ़ोतरी यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले से हो रही है।’’ उनके मुताबिक, यह ‘‘असंतोषजनक बहाना’’ है कि यूक्रेन संकट के कारण महंगाई बढ़ रही है। पार्टी के चिंतन शिविर में कृषि संबंधी समूह की बैठक के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार ने पिछले दरवाजे से तीनों कृषि कानून फिर से लाने की कोशिश की तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी मिलनी चाहिए और ‘कर्जमाफी से कर्जमुक्ति’ कांग्रेस का लक्ष्य है। कांग्रेस की विभिन्न समितियों की बैठकों के बाद दिए गए सुझावों पर रविवार को कांग्रेस कार्य समिति विचार करेगी और इन पर अंतिम निर्णय लेगी। रविवार को चिंतन शिविर का आखिरी दिन है।