लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है और फिलहाल सत्ता पक्ष- विपक्ष दोनों में कांटे की टक्कर देखी जा रही है। हालांकि सत्ता पक्ष 299 सीटों से बढ़त बनाए हुए है और भाजपा नीत एनडीए तीसरी बार सरकार बनाती नजर आ रही है। साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव परिणाम के विपरीत इस बार भाजपा ने अबकी बार 400 पार का जो नारा दिया था वह बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से पीछे ही नजर आ रही है। इस आंकड़े के बाद एक बात जो उभरकर सामने आई है वो है एनडीए या नरेंद्र मोदी के लिए एन फैक्टर।
क्या है ये एन फैक्टर
लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक एन फैक्टर अहम बन गया था। विपक्षी गठबंधन ने तब ध्यान नहीं दिया और उस एन फैक्टर से मुंह मोड़ लिया। आज वही एन फैक्टर सामने आ गया है लेकिन फिलहाल वो एनडीए के पक्ष में है। वो एन फैक्टर है नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू। दोनों नेता इंडिया गठबंधन के मजबूत आधार स्तंभ थे लेकिन गठबंधन में हुई तनातनी के बाद दोनों ने गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए की तरफ अपनी पार्टी को मोड़ दिया था।
ये एन फैक्टर जो है वो है एनडीए के नमो के लिए नीतीश और नायडू। नमो यानि नरेंद्र मोदी के चेहरे पर एनडीए ने दांव लगाया है और इसी चेहरे की बदौलत जीत भी मिलने की कामना कर रहा है। एनडीए को तो 299 सीटें मिलती नजर आ रही हैं लेकिन भाजपा बहुमत से पीछे दिख रही है।
नमो के लिए जरूरी हैं नीतीश-नायडू
इस बार एनडीए और नमो को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर बहुमत के लिए निर्भर रहना पड़ेगा। इस बार नमो की सरकार नीतीश और नायडू के रुख से ही तय होगी। फिलहाल आंकड़ों पर नजर डालें तो नीतीश की जदयू को बिहार की 40 में से 14 और नायडू की तेलुगु देशम पार्टी को 16 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। ये सीटें आज एनडीए के लिए अहम हैं और नमो की सरकार के लिए भी। अगर नीतीश और नायडू को मिली 30 सीटों को माइनस कर दें तो एनडीए का आंकड़ा 265 पर आ जाता है जो बहुमत के लिए जरूरी 272 के जादुई आंकड़े से कम हो जाता है। इसे देखते हुए एक बार नीतीश और नायडू से मुंह मोड़ लेने वाली विपक्षी इंडिया ब्लॉक भी इनसे नजदीकियां बनाने की कोशिश कर सकती है।
ऐसे में खबर ये भी मिल रही है कि विपक्षी गठबंधन नीतीश कुमार को कोई बड़ा ऑफर भी दे सकता है। बिहार में लगे पोस्टर कि नीतीश सबके हैं..ये भी मायने रखता है कि नीतीश कुमार का रुख क्या होगा।