Lok Sabha elections 2024: चुनाव दिलचस्प होते हैं - खासकर जब यह एक ही परिवार के सदस्यों के बीच हो। 1984 के लोकसभा चुनाव में, गांधी परिवार के गढ़ अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से राजीव गांधी का मुकाबला उनकी भाभी मेनका गांधी से था। राजीव गांधी ने जहां कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, वहीं मेनका गांधी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ मैदान में थीं। उस दौरान राजीव गांधी को 365,041 वोट मिले, वहीं मेनका को सिर्फ 50,163 वोट मिले।
1984 का लोकसभा चुनाव ऐसा था जिसमें गांधी परिवार का आपसी टकराव देश में सामने आया था। 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन चुके थे। राजीव गांधी उस समय अमेठी से सांसद थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 26 दिसंबर 1984 को आम चुनावों की तिथि निर्धारित हो गई थी। राजीव गांधी फिर से अमेठी से चुनावी मैदान में थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार में चल रही अंदर खाने की लड़ाई बाहर आ गई और मेनका गांधी ने उस समय प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से ‘संजय विचार मंच’ से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। गांधी परिवार के ही दो सदस्य एक दूसरे के सामने थे। तब इंदिरा गांधी की हत्या से उमड़ी सहानुभूति की लहर में अमेठी की जनता ने राजीव गांधी को चुना और मेनका गांधी की जमानत नहीं बच पाई।
1977 में पहली बार अमेठी सीट पर हुए थे चुनाव
बता दें कि अमेठी क्षेत्र पहले सुल्तानपुर साउथ संसदीय सीट का हिस्सा हुआ करता था। इसके बाद 1962 में सुल्तानपुर जिले की चार और प्रतापगढ़ की एक अठेहा विधानसभा को मिलाकर मुसाफिरखाना लोकसभा सीट का गठन हुआ, जिसका हिस्सा अमेठी हुआ करती थी। 1972 के परिसीमन में रायबरेली जिले की दो और सुल्तानपुर जिले की तीन विधानसभा सीटों को मिलकर अमेठी लोकसभा सीट बनी। 1977 में पहली बार अमेठी लोकसभा सीट पर चुनाव हुए थे।
अमेठी से अजेय रहे थे राजीव गांधी
आपातकाल के बाद होने वाले 1977 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट से कांग्रेस से संजय गांधी उतरे थे, तो उनके सामने जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह मैदान में थे। संजय गांधी यह चुनाव हार गए थे। लेकिन चुनाव हारने के बाद भी वह अमेठी क्षेत्र में डटे रहे। 1980 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट से संजय गांधी सांसद चुने गए, लेकिन एक साल के अंदर ही विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, 1981 के अमेठी उपचुनाव में राजीव गांधी ने जबरदस्त तरीके से जीत कर अपनी सियासी पारी का आगाज किया और इस सीट पर जब तक चुनाव लड़े, वो अजय रहे। राजीव गांधी ने इस सीट से लगातार तीन बार- 1984, 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव जीता।
गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी
2004 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अपने चुनावी सफर की शुरुआत इसी सीट से की और 2,90,853 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में रहे। राहुल 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए लेकिन 2019 के चुनाव में अमेठी में सबसे बड़ा उलटफेर देखा गया था। 2019 में राहुल गांधी को करीब 4.13 लाख वोट मिले, जबकि स्मृति ईरानी को करीब 4.68 लाख वोट मिले और उन्होंने लगभग 55 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
यदि कांग्रेस के स्थानीय और दलबदलुओं नेताओं की राय को ध्यान में रखा जाए, तो 2019 में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की स्पष्ट रुचि की कमी बीजेपी की स्मृति ईरानी के पक्ष में गई, जिन्होंने गांधी परिवार से यह सीट छीन ली। खबरों की मानें तो इस बार भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अमेठी व रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावना कम है।
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