चुनाव Flashback: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से एक बार फिर वायनाड से ताल ठोकी है। 2019 के चुनाव में वे वायनाड और अमेठी दोनों सीट पर चुनाव लड़े थे लेकिन अमेठी में उन्हें बीजेपी की नेता स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था जबकि वायनाड की जनता ने भारी मतों के अंतर से उन्हें जीत दिलाई थी। वहीं 2019 के राहुल गांधी के इस चुनाव को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। कांग्रेस ने जहां यह कहकर इस फैसले को सही ठहराया कि राहुल गांधी को वायनाड की सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला तीन दक्षिणी राज्यों केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए लिया गया था। वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना था कि अमेठी से हार का अंदेशा होने पर चेहरा बचाने का यह हताशा भरा प्रयास था।
1978 में इंदिरा गांधी ने चिकमंगलूर से जीता था चुनाव
ऐसा नहीं है कि गांधी परिवार की साख पहली बार दक्षिण भारत की सीट ने बचाई है। इससे पहले 1978 और 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। 1977 के चुनाव में हार के के बाद इंदिरा गांधी के लिए ऐसी सुरक्षित सीट तलाशी जा रही थी जहां उपचुनाव के जरिए वे लोकसभा पहुंच सके। ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजर कर्नाटक के चिकमंगलूर सीट पर गई। इस सीट पर कांग्रेस के चंद्र गौड़ा सांसद थे। चंद्र गौड़ा ने इस सीट को खाली कर दिया। उपचुनाव में इंदिरा गांधी का मुकाबला कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल से था।
'एक शेरनी.. सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर' नारे ने बदल दी फिजा
कांग्रेस इस चुनावी जंग को हर हाल में जीतना चाहती थी वहीं जनता पार्टी की पूरी कोशिश थी कि इंदिरा गांधी को जीतने से रोका जाए। जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कांग्रेस को एक ऐसे नारे की जरूरत महसूस हुई जो चुनावी फिजा को बदल सके। ऐसे में कांग्रेस की ओर से एक नारा आया- 'एक शेरनी.. सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर'। इस नारे ने अपना असर दिखाया और इंदिरा गांधी 77 हजार वोटों से चुनाव जीत गईं। उनके खिलाफ लड़ रहे 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
1980 में इंदिरा ने मेडक से जीता था चुनाव
1980 में भी इंदिरा गांधी ने अविभाजित आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के मेडक और उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा था। इंदिरा गांधी रायबरेली की सीट से जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थीं। उन्होंने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी। मेडक में उन्होंने जनता पार्टी के तेज-तर्रार नेता एस जयपाल रेड्डी को हराया था। बाद में उन्होंने रायबरेली सीट छोड़ दी थी। 1984 में अपनी हत्या तक उन्होंने मेडक लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया।
1999 में सोनिया गांधी ने बेल्लारी का किया प्रतिनिधित्व
इंदिरा गांधी के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी लोकसभा सीट के साथ-साथ बेल्लारी से भी चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने अमेठी सीट पर असमंजस की स्थिति होने के चलते उन्हें बेल्लारी से भी चुनाव मैदान में उतारा। भाजपा ने बेल्लारी से अपनी कद्दावर नेता सुषमा स्वराज को टिकट दिया। उन्होंने सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी। सोनिया गांधी केवल 7 फीसदी वोटों के अंतर से यह चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं।