Highlights
- देश में अंतिम चीते की मौत 1947 में कोरिया जिले में हुई थी।
- 1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था।
- ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ।
Cheetah return to India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को एक स्पेशल बाड़े में छोड़ दिया। मोदी द्वारा अपने जन्मदिन पर इन चीतों को नेशनल पार्क में छोड़े जाने को ‘तमाशा’ करार देते हुए कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने के लिए यह सब किया जा रहा है। कांग्रेस ने साथ ही इसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया है।
‘प्रधानमंत्री ने बेवजह तमाशा खड़ा किया’
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25 अप्रैल, 2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का जिक्र तक न होना इसका ताजा उदाहरण है। आज प्रधानमंत्री ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है। 2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में ट्रांसफर किया गया तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे। वे गलत साबित हुए।’
‘प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं’
रमेश ने आगे कहा, ‘चीता प्रोजेक्ट पर भी उसी तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं। मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं! ’ प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए चीतों को एक विशेष बाड़े में छोड़ा। इस मौके पर मोदी अपने पेशेवर कैमरे से चीतों की कुछ तस्वीरें भी खींचते हुए दिखाई दिए। भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के 7 दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने के लिए यहां लाया गया है।
स्पेशल फ्लाइट से भारत आए चीते
पहले इन चीतों को विशेष विमान से ग्वालियर एयरपोर्ट और फिर हेलीकॉप्टरों से श्योपुर जिले में स्थित केएनपी लाया गया। इन चीतों को ‘टेरा एविया’ की एक विशेष उड़ान में लाया गया है जो यूरोप में चिसीनाउ, मोल्दोवा में स्थित एक एयरलाइन है और चार्टर्ड यात्री और कमर्शल फ्लाइट्स ऑपरेट करती है। कुनो नेशनल पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 344 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। देश में अंतिम चीते की मौत 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो छत्तीसगढ़ जिले में स्थित है।
1952 में विलुप्त घोषित हुए थे चीते
1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था। भारत में फिर से चीतों को बसाने के लिए ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ था और इसने हाल के कुछ वर्षों में गति पकड़ी है। भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। माना जा रहा है कि इस पूरी कवायद से देश में चीतों की संख्या को बढ़ाने में मदद मिलेगी।