सीबीआई ने हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कथित तौर से रिश्वत देने के एक मामले में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है। गौरतलब है कि कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे और वह इन बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार है। अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि जगदलपुर एकीकृत इस्पात संयंत्र से संबंधित कार्यों के लिए मेघा इंजीनियरिंग के 174 करोड़ रुपये के बिलों को मंजूरी देने में लगभग 78 लाख रुपये की कथित रिश्वत दी। प्राथमिकी में एनआईएसपी और एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन के दो अधिकारियों को भी कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए नामित किया गया है।
इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली मेघा इंजीनियरिंग
चुनाव आयोग के 21 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार मेघा इंजीनियरिंग चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार थी और उसने भाजपा को लगभग 586 करोड़ रुपये की सबसे अधिक राशि का दान दिया था। कंपनी ने बीआरएस को 195 करोड़ रुपये, डीएमके को 85 करोड़ रुपये और वाईएसआरसीपी को 37 करोड़ रुपये का दान दिया। टीडीपी को कंपनी से करीब 25 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले। बता दें कि बीते दिनों इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर देश में खूब राजनीति देखने को मिली थी। पक्ष और विपक्ष द्वारा एक दूसरे पर खूब आरोप लगाए गएं।
चुनावी बॉन्ड पर हंगामा
चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी खूब हंगामा देखे को मिला था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को कहा था कि वह यूनिक कोड के साथ चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों, पार्टियों के नाम का खुलासा करें। लेकिन एसबीआई द्वारा कई बार पूरी जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद एसबीआई द्वारा दी गई जानकारी को जब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया तो पता चला कि उसमें यूनिक कोड नहीं दिया गया था। इस मामले पर अगली सुनवाई में जब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई तब जाकर एसबीआई की तरफ से यूनिक कोड जारी कर अपडेटेड जानकारी साझा की गई थी।
(इनपुट-भाषा)