नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द की कर दी गई है। संसद ने इस बारे में एक प्रस्ताव पास कर दिया है। महुआ के खिलाफ ये एक्शन कैश फोर क्वेरी केस में लिया गया है। बता दें कि शुक्रवार को लोकसभा में एथिक्स कमेटी ने महुआ के खिलाफ जांच रिपोर्ट को पेश किया था जिसके बाद ये कार्रवाई की गई।
रिश्वत लेने का लगा है आरोप
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपनी शिकायत में मोइत्रा पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडानी समूह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। दुबे ने कहा कि आरोप सुप्रीम कोर्ट के एक वकील के पत्र पर आधारित थे जो उन्हें मिला था, जिसमें मोइत्रा और व्यवसायी के बीच "रिश्वत के लेन-देन के कई सबूत मौजूद हैं।
सांसद के रूप में अनैतिक आचरण
टीएमसी की महुआ मोइत्रा को लोकसभा सदस्य के रूप में निष्कासित करने के बाद सदन को 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए, उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है।
महुआ को नहीं मिला बोलने का मौका
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। विपक्ष विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस ने अध्यक्ष से कई बार आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
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