हावेरी: कर्नाटक के टेक्सटाइल मिनिस्टर शिवानंद पाटिल का एक बयान विवादों के घेरे में आ गया है। सूबे के हावेरी जिले में मीडिया से बात करते हुए पाटिल ने कहा कि मुआवजा राशि बढ़ा देने की वजह से ही राज्य में किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। उनके इस बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए किसान संगठनों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। एक सवाल के जवाब में मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि साल 2015 के बाद जब से सरकार ने मुआवजा राशि को बढ़ाया है, तब से किसानों की आत्महत्या के ज्यादा मामले रिपोर्ट हो रहे हैं।
‘ये मनुष्य की सामान्य प्रवृत्ति है’
राज्य के टेक्सटाइल मिनिस्टर ने कहा कि पिछले 3 सालों में तकरीबन 2200 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन जब पुलिस द्वारा इनकी जांच की गई तो पाया गया कि सिर्फ कुछ मामले ही वास्तविक हैं। पाटिल ने किसान संगठनों से भी अपील की कि वे वास्तविक मामलों की पहचान करने में सरकार की मदद करें। यह पूछे जाने पर कि क्या मुआवजे में बढ़ोत्तरी ही इसकी एकमात्र वजह है, पाटिल ने जवाब दिया, ‘मैं ऐसा नहीं कह रहा। आप समझिए ये मनुष्य की सामान्य प्रवृत्ति है। अब गरीब आदमी को लीजिए, उसे लगता है कि थोड़ा रिलीफ इसी तरह मिल जाए। ये एक नेचुरल फीलिंग है।’
पाटिल के बयान पर मचा बवाल
अपने जवाब में पाटिल ने आगे कहा, ‘इसीलिए ऐसा (आत्महत्या) कर लेते हैं। मैं आपसे ये विनती कर रहा हूं कि आप आंकड़े देखें। 2015 से पहले जब मुआवजा राशि कम थी, तब ऐसे मामले कम आते थे। लेकिन 2015 के बाद जब से मुआवजा राशि को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया, तब से किसान आत्महत्या के ज्यादा मामले रिपोर्ट हो रहे हैं।’ मंत्री ने आगे कहा कि किसानों द्वारा आत्महत्या के रिपोर्ट किए गए मामलों में ज्यादातर मामले सच्चाई से परे हैं। पाटिल के इस बयान पर बवाल मच गया है और किसान संगठन उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।